Sharad Purnima 2019: 30 साल बाद बन रहा है 'महालक्ष्मी संयोग', जमकर बरसेगा पैसा-लूटने के लिए ऐसे करें देवी लक्ष्मी को खुश
By मेघना वर्मा | Published: October 11, 2019 09:40 AM2019-10-11T09:40:12+5:302019-10-12T15:10:46+5:30
माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी अपने वाहन, उल्लू पर सवार होकर जमीन पर आती हैं। इसीलिए शरद पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी जी की उपासना भी की जाती है।
शरद पूर्णिमा को हिन्दू धर्म के कुछ खास त्योहारों में माना जाता है। शास्त्रों में इसकी महत्ता सबसे अधिक बताई गई है। प्राचीन काल से ही शरद पूर्णिमा का त्योहार लोग पूरी विधि-विधान से मनाते चले आ रहे हैं। अश्विन मास की पूर्णिमा को पड़ने वाली इस शरद पूर्णिमा की अलग-अलग मान्यताएं हैं। इस बार शरद पूर्णिमा का ये त्योहार 13 अक्टूबर को पड़ रहा है। मगर इस बार शरद पूर्णिमा अपने आप में ही खास होगी। बताया जा रहा है कि इस बार शरद पूर्णिमा पर महालक्ष्मी संयोग बन रहा है।
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ज्योतिषशास्त्रों की मानें तो इस बार शरद पू्र्णिमा पर 30 साल बाद दुर्लभ संयोग बन रहा है। ये संयोग चंद्रमा और मंगल के आपस में दृष्टि संबंध होने से बनेगा। इस योग को महालक्ष्मी संयोग भी कहा गया है। ये दिन आपकी आर्थिक स्थिती के लिए खास होने वाला है। इस दिन मां लक्ष्मी को खुश करके आप उनका आशीर्वाद पा सकते हैं।
शरद पूर्णिमा के दिन ही मान्यता ये भी है कि आकाश से अमृत की वर्षा होती है। इसी शरद पूर्णिमा पर कुछ आसान से उपाय करके आप यश और धन्य-धान्य का आशीर्वाद भी पा सकते हैं। इस साल शरद पूर्णिमा पर पड़ने वाले इस संयोग से आपको प्रॉपर्टी खरीदनी हो या अपनी सेविंग्स बढ़ानी हो हर चीजों पर फर्क पड़ता दिख रहा है।
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शरद पूर्णिमा पर इस साल चंद्रमा मीन राशि और मंगल कन्या राशि में रहेगा। वहीं मंगल, हस्त नक्षत्र में रहेगा। जो कि चंद्रमा के स्वामित्व वाला नक्षत्र है। ज्योतिष शास्त्रों की मानें तो इससे पहले ग्रहों की ऐसी स्थिति 14 अक्टूबर 1989 में बनी थी। इनके अलावा चंद्रमा पर बृहस्पति की दृष्टि भी पड़ने से गजकेसरी नाम का एक और शुभ योग भी बन रहा है।
माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी अपने वाहन, उल्लू पर सवार होकर जमीन पर आती हैं। इसीलिए शरद पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी जी की उपासना भी की जाती है। इस दिन लक्ष्मी जी की विशेष कृपा भी उनके भक्तों पर बरसती है।
शरद पूर्णिमा पर ऐसे करें देवी लक्ष्मी को प्रसन्न
शरद पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें।
घर के मंदिर में घी का दीपक जलाएं।
इस दीपक को दिन भर बुझने ना दें।
इसके बाद ईष्ट देवता की पूजा करें।
माता लक्ष्मी की पूजा पूरे विधि-विधान से करें।
मां लक्ष्मी को लाल रंग का फूल जरूर चढ़ाएं।
शाम के समय लक्ष्मी जी की पूजा करें।
अब चंद्रमा को अर्घ्य देकर प्रसाद चढ़ाएं और आारती करें।
रात 12 बजे के बाद अपने परिजनों में खीर का प्रसाद बांटें।