लाइव न्यूज़ :

Sawan 2023: भगवान शिव को बेलपत्र है अति प्रिय, सावन में पूजा करते समय शिवलिंग पर इस तरह चढ़ाएं बेलपत्र; होगी हर मनोकामना पूरी

By अंजली चौहान | Updated: July 4, 2023 18:19 IST

आज से हिंदू धर्म का पवित्र महीना सावन शुरू हो गया है। सावन महीना भगवान भोलेनाथ को समर्पित है।

Open in App
ठळक मुद्देसावन महीना भगवान शिव को बेहत प्रिय हैबेलपत्र चढ़ाने से भोलेनाथ भक्त से प्रसन्न रहते हैंबेलपत्र हमेशा तीन पत्तियों वाला ही होना चाहिए

Sawan 2023: आज से सावन का पवित्र महीना शुरू हो गया है। भगवान शिव को जितना प्रिय ये महीना है उतना ही शिव भक्तों के लिए ये महीना खास है। भगवान शिव को समर्पित सावन में हिंदू धर्म को मानने वाले लोग मंदिर में जाकर शिवलिंग विधि-विधान से पूजा-पाठ करते हैं। 

मान्यताओं के अनुसार, शिवभक्तों द्वारा शिवलिंग का अभिषेक किया जाना शुभ होता है। शिवलिंग पर दूध, गंगा जल, शहद, धतूरा, शम्मी के पत्ते, बेलपत्र चढ़ाने से महादेव प्रसन्न हो जाते हैं और भक्त पर हमेशा अपनी कृपा बनाए रखते हैं।

शिवलिंग पर ये सभी चीजें चढ़ाई जाती है लेकिन इन सब में सबसे ज्यादा महादेव को बेलपत्र प्रिय है। बेलपत्र का भगवान शिव की पूजा में काफी महत्व है।

शास्त्रों के अनुसार, बेलपत्र को चढ़ाने का नियम होता है जो किसी भी भक्त के लिए जानना बहुत जरूरी है तो आइए जानते है बेलपत्र चढ़ाने का सही तरीका...

शिवलिंग पर कैसे बेलपत्र को चढ़ाना चाहिए?

1 बेलपत्र को महादेव को चढ़ाने से पहले तीन पत्तियों वाला बेलपत्र की चुनना चाहिए।

2 तीन पत्तियों वाले बेलपत्र का चयन करते समय सबसे पहले इस बात का ध्यान रखे कि वह कटी-फटी न हो। पत्ता एकदम साबूत होना चाहिए। 

3 ध्यान रहे कि बेलपत्र को कभी भी ऐसे ही न चढ़ाएं। बेलपत्र को शिवलिंग पर हमेशा जल के साथ चढ़ाएं।

4- बेल की पत्तियां जिस तरफ से चिकनी होती है उसे उसी तरफ से शिवलिंग पर चढ़ाया जाना चाहिए।

5 बहुत कम लोगों को यह पता है कि बेलपत्र को एक बार नहीं बल्कि पानी से धोकर बार-बार चढ़ा सकते हैं। 

शिवलिंग के साथ इन पांच जगहों पर चढ़ाएं बेलपत्र 

1- पांच जगहों में से सबसे पहले बेल पत्र भगवान शिव ने निष्ठावान भक्त नंदी को चढ़ाना चाहिए।

2- दूसरा बेल का पत्ता जलहरी के स्थान पर चढ़ाना चाहिए जो भगवान गणेश का स्थाना माना जाता है। जलहरि पर सीधे हाथ से ही बेलपत्र चढ़ाना चाहिए। 

3- तीसरा बेल का पत्ता उस स्थान पर चढ़ाना चाहिए जहां जलहरि से शिवलिंग मिलता है।

4- चौथा बेलपत्र शिवलिंग पर न चढ़ा कर जल में चढ़ाना चाहिए जो जल धीरे-धीरे शिवलिंग पर गिरता है। 

5- पांचवा बेलपत्र जो सबसे आखिरी में होता है उसे शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए।  

हिंदू शास्त्रों में बेलपत्र का काफी महत्व है। बेलपत्र से जुड़ी भगवान शिव की कई लोग कहानियां भी है। एक मान्यता ये भी है कि भगवान शिव ने जब विष का प्याला पीया था तब बेलपत्र से ही उन्हें राहत मिली थी। 

(डिस्क्लेमर: इस लेख में लिखित जानकारी सामान्य अध्ययन पर आधारित है। कृपया कर नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कर पेशेवर या वित्तीय सलाहकार से परामर्श करना याद रखें। लोकमत हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है।) 

टॅग्स :सावनभगवान शिवहिंदू त्योहारत्योहार
Open in App

संबंधित खबरें

पूजा पाठMargashirsha Purnima 2025 Date: कब है मार्गशीर्ष पूर्णिमा? जानिए तिथि, दान- स्नान का शुभ मुहूर्त, चंद्रोदय का समय और महत्व

पूजा पाठDecember Vrat Tyohar 2025 List: गीता जयंती, खरमास, गुरु गोबिंद सिंह जयंती, दिसंबर में पड़ेंगे ये व्रत-त्योहार, देखें पूरी लिस्ट

पूजा पाठVivah Panchami 2025: विवाह पंचमी 25 नवंबर को, वैवाहिक जीवन में प्रेम बढ़ाने के लिए इस दिन करें ये 4 महाउपाय

भारतदरगाह, मंदिर और गुरुद्वारे में मत्था टेका?, बिहार मतगणना से पहले धार्मिक स्थल पहुंचे नीतीश कुमार, एग्जिट पोल रुझान पर क्या बोले मुख्यमंत्री

पूजा पाठKartik Purnima 2025: कार्तिक पूर्णिमा आज, जानें महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठगोवा अग्निकांड: कौन हैं सौरभ लूथरा? अरपोरा के बर्च नाइट क्लब के संस्थापक आग में 25 लोगों की मौत के बाद अब पुलिस जांच के दायरे में

पूजा पाठPanchang 07 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 07 December 2025: आज इन 3 राशियों के लिए दिन रहेगा चुनौतीपूर्ण, वित्तीय नुकसान की संभावना

पूजा पाठसभ्यता-संस्कृति का संगम काशी तमिल संगमम

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 06 December 2025: आज आर्थिक पक्ष मजबूत, धन कमाने के खुलेंगे नए रास्ते, पढ़ें दैनिक राशिफल