Sawan 2019: दुनिया का सबसे अद्भुत और रहस्यमयी शिवलिंग, हर साल बढ़ रहा है आकार!
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 22, 2019 01:06 PM2019-07-22T13:06:17+5:302019-07-22T13:06:17+5:30
इस मंदिर को भूतेश्वर नाथ के नाम से जाना जाता है और ये छत्तीसगढ़ राज्य के गरियाबंद जिले के मरौदा गांव में घने जंगलों के बीच स्थित है। यहा मौजूद शिवलिंग को विश्व का सबसे बड़ा प्राकृतिक शिवलिंग माना जाता है।
Sawan 2019: सावन के महीने में भगवान शिव के हर छोटे-बड़े मंदिर में भक्तों की भीड़ बढ़ जाती है। भगवान शिव के कई मंदिर को वैसे इतने खास हैं कि जहां सावन में हर भक्त जाने की कोशिश करता है। फिर चाहे बात अमरनाथ मंदिर की हो, देवघर के वैद्यनाथ मंदिर की या फिर उज्जैन के महाकाल मंदिर की, हर भक्त यहां सावन के पावन मास में जाना चाहता है। आज लेकिन हम आपको एक ऐसे खास मंदिर और यहां मौजूद शिवलिंग के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में बहुत कम लोगों को पता है। इससे जुड़ा रहस्य बेहद दिलचस्प और हैरान करने वाला है। सावन के महीने में यहां भी बड़ी संख्या में भक्त आते हैं।
चमत्कारी भूतेश्वर नाथ शिवलिंग, छत्तीसगढ़ में है मौजूद
इस मंदिर को भूतेश्वर नाथ के नाम से जाना जाता है और ये छत्तीसगढ़ राज्य के गरियाबंद जिले के मरौदा गांव में घने जंगलों के बीच स्थित है। यहा मौजूद शिवलिंग को विश्व का सबसे बड़ा प्राकृतिक शिवलिंग माना जाता है। इस शिवलिंग से जुड़ी सबसे रहस्यमयी बात ये है कि इसकी लंबाई हर साल 6 से 8 इंच बढ़ जाती है। यहां के स्थानीय लोगों ने इस शिवलिंग के प्रति बहुत आस्था है। प्रतिवर्ष इसकी ऊंचाई भी नापी जाती है।
भूतेश्वर नाथ शिवलिंग की स्थापना के पीछे की कहानी
यह शिवलिंग यहां कहां से आया, इसे लेकर कोई भी जानकारी नहीं है। एक कहानी के अनुसार सैकड़ो साल पहले यहां के निवासी शोभा सिंह अक्सर अपनी खेती-बाड़ी का जायजा लेने के लिए इस क्षेत्र में आते थे। शोभा सिंह जब भी शाम को अपने खेतों में घुमते हुए यहां आते, तो एक विशेष प्रकार के टीले के पास उन्हें सांड के बोलने और शेर जैसे किसी जानवर के दहाड़ने की आवाज सुनाई देती थी। कुछ दिनों बाद उन्होंने यह बात अपने गांव वालों को बताई।
गांव वालों को भी यही अनुभव हुआ लेकिन आसपास के इलाके में बहुत खोजने पर भी उन्हें कोई जानवर नजर नहीं आया। इसके बाद गांव वालों की श्रद्धा इस टीले के प्रति बढ़ती गई और वे इसे शिव का रूप मानकर पूजने लगे। स्थानीय लोगों के अनुसार यह टीला पहले छोटा था लेकिन धीरे-धीरे इसकी ऊंचाई और गोलाई बढ़ती चली गई जो अब भी जारी है। ऐसी मान्यता है कि यहां भगवान शिव की पूजा करने से हर मनोकामना जरूर पूर्ण होती है।