Sarva Pitru Amavasya 2024 Date: कब है सर्व पितृ अमावस्या? कैसे करें पितृ विसर्जन, जानें विधि और महत्व
By रुस्तम राणा | Updated: September 28, 2024 14:17 IST2024-09-28T14:17:48+5:302024-09-28T14:17:48+5:30
Mahalaya Amavasya 2024: पितृ पक्ष में तिथि अनुसार, पितरों के निमित्त तर्पण और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। किंतु जब हमें अपने दिवंगत पूर्वजों की तिथि ज्ञात नहीं होती है। उस स्थिति में सर्व पितृ अमावस्या के दिन ही उनका श्राद्ध कर्म किया जाता है, जिससे पितृ ऋण से मुक्ति मिल सके।

Sarva Pitru Amavasya 2024 Date: कब है सर्व पितृ अमावस्या? कैसे करें पितृ विसर्जन, जानें विधि और महत्व
Sarva Pitru Amavasya 2024 Date: आश्विन अमावस्या को सर्व पितृ अमावस्या या फिर महालय अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन पितृ विसर्जन होता है। मान्यता है कि श्राद्ध पक्ष में हमारे दिवंगत परिजन धरती में विचरण करने आते हैं और आश्विन माह की अमावस्या के दिन पुनः परलोक चले जाते हैं। इस प्रकार सर्व पितृ अमावस्या का दिन पितरों की विदाई का दिन माना जाता है। पितृ पक्ष में तिथि अनुसार, पितरों के निमित्त तर्पण और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। किंतु जब हमें अपने दिवंगत पूर्वजों की तिथि ज्ञात नहीं होती है। उस स्थिति में सर्व पितृ अमावस्या के दिन ही उनका श्राद्ध कर्म किया जाता है, जिससे पितृ ऋण से मुक्ति मिल सके।
कब है सर्व पितृ अमावस्या 2024?
पंचांग के अनुसार, इस साल अश्विन कृष्ण अमावस्या तिथि का प्रारंभ 1 अक्टूबर दिन मंगलवार को रात 9 बजकर 39 मिनट पर होगा। अमावस्या तिथि 2 अक्टूबर बुधवार को देर रात 12 बजकर 18 मिनट तक मान्य है। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर सर्व पितृ अमावस्या 2 अक्टूबर बुधवार को है।
सर्व पितृ अमावस्या 2024 मुहूर्त
लाभ-उन्नति मुहूर्त: सुबह 06:15 बजे से 07:44 बजे तक
अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त: सुबह 07:44 बजे से 09:12 बजे तक
शुभ-उत्तम मुहूर्त: सुबह 10:41 बजे से दोपहर 12:10 बजे तक
चर-सामान्य मुहूर्त: दोपहर 03:08 बजे से शाम 04:37 बजे तक
लाभ-उन्नति मुहूर्त: शाम 04:37 बजे से शाम 06:06 बजे तक
श्राद्ध का समय: सुबह 11 बजे से लेकर दोपहर 03:30 बजे तक
इस विधि से करें पितरों का श्राद्ध
इस दिन प्रातः उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अब श्राद्ध के लिए सात्विक भोजन तैयार करें। पकवान में से थोड़ा-थोड़ा भोजन निकाल कर एक थाली में लगाएं। अब अपने घर के आंगन में या छत पर जाकर पत्तल को दोनों में भोजन को जल के साथ रखें। अब पितरों से उसे ग्रहण करने का आग्रह करें और किसी भी त्रुटि के लिए उनसे क्षमा मांगे। शाम के समय सरसों के तेल के दीपक जलाकर चौखट पर रखें। अब पितरों से आशीर्वाद बनाए रखने और परलोक लौटने का आग्रह करें।
महालया अमावस्या का महत्व
हिन्दू धर्म शास्त्रों में सर्व पितृ अमावस्या तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। यूं तो सभी मास की अमावस्या पितरों के लिए महत्वपूर्ण होती है, किंतु महालया अमावस्या (आश्विन अमावस्या) तिथि पर पितरों के लिए जल दान, श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से वे पूरी तरह तृप्त हो जाते हैं। इस दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में होते हैं। ये दोनों ग्रह पितरों से संबंधित हैं। जहां सूर्य पिता का प्रतिनिधित्व करता है तो वहीं चंद्रमा मां का प्रतीक है। इस तिथि पर पितृ अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देकर पुनः मृत्युलोक चले जाते हैं।