Rang Panchami 2024 Date: होली के बाद अब आएगी रंग पंचमी, इस दिन भगवान कृष्ण ने राधा के साथ खेली थी होली
By रुस्तम राणा | Updated: March 26, 2024 14:59 IST2024-03-26T14:59:17+5:302024-03-26T14:59:17+5:30
Rang Panchami 2024 Date: इस साल रंग पंचमी उत्सव 30 मार्च, शनिवार को मनाया जाएगा। कई स्थानों पर रंग पंचमी का विशेष महत्व माना गया है। मथुरा और वृन्दावन के कुछ मन्दिरों में रंग पंचमी के दिन ही होलिका उत्सव का समापन माना जाता है।

Rang Panchami 2024 Date: होली के बाद अब आएगी रंग पंचमी, इस दिन भगवान कृष्ण ने राधा के साथ खेली थी होली
Rang Panchami 2024: रंगो का त्योहार 25 मार्च को समाप्त हो गया,अब रंग पंचमी पर्व आएगा। इस पर्व का संबंध भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी और देवगणों से जोड़ा जाता है। मान्यता है कि रंग पंचमी के दिन ही श्रीकृष्ण ने राधा के साथ होली खेली थी। वहीं इसी दिन देवता भी होली खेलते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार, होली के पांच दिन बाद यानी चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि पर रंग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस साल रंग पंचमी उत्सव 30 मार्च, शनिवार को मनाया जाएगा। कई स्थानों पर रंग पंचमी का विशेष महत्व माना गया है। मथुरा और वृन्दावन के कुछ मन्दिरों में रंग पंचमी के दिन ही होलिका उत्सव का समापन माना जाता है।
रंग पंचमी 2024 शुभ मुहूर्त
रंग पंचमी तिथि - 30 मार्च, 2024
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि प्रारंभ- 29 मार्च को रात्रि 08 बजकर 20 मिनट पर
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि समाप्त- 30 मार्च को रात्रि 09 बजकर 13 मिनट पर
देवताओं के साथ होली खेलने का समय - सुबह 07 बजकर 46 मिनट से सुबह 09 बजकर 19 मिनट तक
रंग पंचमी का महत्व
हिन्दू धर्म में हर एक व्रत, पर्व और एवं त्योहार का कोई न कोई धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व होता है। मान्यता है कि रंग पंचमी के दिन ही भगवान कृष्ण ने राधा रानी के साथ होली खेली थी। साथ ही यह भी माना जाता है कि इस दिन देवतागण धरती पर आकर रंग, गुलाल या अबीर से होली खेलते हैं। कहते हैं कि इस दिन गुलाल-अबीर को जब हवा में उड़ाया जाता है और जिस भी व्यक्ति पर यह गुलाल आकर गिरता है, उसे देवी-देवताओं की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह भी माना जाता है कि इस दिन गुलाल, अबीर आदि देवताओं को अर्पित करने पर कुंडली में मौजूद दोष समाप्त हो सकते हैं।
रंग पंचमी की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, जब कामदेव में भगवान शिव की तपस्या में विघ्न डाला, तब शिव जी ने क्रोधित होकर उन्हें भस्म कर दिया था। तब देवी रति और अन्य देवताओं के विनती करने पर शिव जी ने कामदेव को पुनः जीवन कर दिया। जिस कारण सभी देवी-देवता प्रसन्न हो गए और उन्होंने रंगोत्सव मनाया। माना जाता है कि इसके बाद से ही रंग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है।