रामकृष्ण परमहंस जयंती विशेष: स्वामी विवेकानंद के गुरु के 10 प्रेरणादायक अनमोल वचन

By धीरज पाल | Published: February 17, 2018 08:16 AM2018-02-17T08:16:07+5:302018-02-18T09:18:45+5:30

दुनिया को मानवता का पाठ सिखाने वाले रामकृष्ण परमहंस की जयंती हर साल 18 फरवरी को मनाई जाती है।

Ramakrishna Paramahansa Birth Anniversary: 10 inspirational quotes of Guru of Swami Vivekanand | रामकृष्ण परमहंस जयंती विशेष: स्वामी विवेकानंद के गुरु के 10 प्रेरणादायक अनमोल वचन

Ramakrishna Paramhansa Jayanti| रामकृष्ण परमहंस जयंती

गुरु को समर्पित धार्मिक ग्रंथों में लिखा गया है, "गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः, गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः" अर्थात् गुरु ब्रह्मा के समान है, जो श्रृष्टि के कर्ता है, गुरु ही विष्णु के समान है, जो संरक्षक हैं, गुरु ही महेश्वर के समान है, जो विनाशक हैं, गुरु आंखो के सामने सर्वोच्च ब्रह्मा है, ऐसे गुरु को मैं नमन करता हूं। कुछ ऐसे ही थे युवाओं के प्रेरणास्त्रोत स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस। दुनिया को मानवता का पाठ सिखाने वाले रामकृष्ण परमहंस की जयंती हर साल 18 फरवरी को मनाई जाती है। रामकृष्ण परमहंस का जन्म 18 फरवरी 1836 को पश्चिम बंगाल में हुआ था। 

कौन थे रामकृष्ण परमहंस

रामकृष्ण परमहंस दुनिया के एक महान संत व विचारक थे। इन्होंने सभी धर्मों की एकता पर जोर दिया। रामकृष्ण परमहंस ने पश्चिमी बंगाल के हुगली जिले में कामारपुकुर नाम के गांव के एक दीन और धर्मनिष्ठ परिवार में हुआ था। इनके बचपन का नाम गदाधर था। 7 साल की आयु में गदाधर के पिता की मृत्यु हो गई। इनके बड़े भाई रामकुमार चट्टोपाध्याय में एक पाठशाला के संचालक थे। इसके बाद उनके बड़े भाई रामकुमार चट्टोपाध्याय उन्हें कलकत्ता लेकर चले गए। कहा जाता है कि रामकृष्ण परमहंस मां काली के बहुत बड़े भक्त थे। स्वभाव के बिल्कुल निश्छल, सहज और विनयशील स्वभाव के थे। 

साल 1855 में रामकृष्ण जी के बड़े भाई रामकुमार को दक्षिणेश्वर काली मंदिर के मुख्य पुजारी के रुप में नियुक्त किया गया। 23 साल की उम्र में उनका विवाह शारदामनि के साथ हुआ। स्वामी विवेकानंद से परमहंस रामकृष्ण की मुलाकात दक्षिणेश्वर मंदिर में हुई। रामकृष्ण परमहंस के विचार स्वामी विवेकानंद जी को इतने प्रभावित किए कि उन्होंने परमहंस को अपना गुरु मान लिया

पढ़ें रामकृष्ण परमहंस के अनमोल वचन-

1. ईश्वर ही दुनिया का एकमात्र पथ प्रदर्शक और सच्ची राह दिखाने वाला है। 

2. यदि हम कर्म करते हैं तो अपने कर्म के प्रति भक्ति का भान होना परम आवश्यक है तभी वह कर्म सार्थक हो सकता है। 

3. नाव को हमेशा जल में ही रहना चाहिए, जल को कभी भी नाव में नहीं होना चाहिए। ठीक इसी प्रकार भक्ति करने वाले इस दुनिया में रहें लेकिन जो भक्ति करें उनके मन में सांसारिक मोहमाया नहीं होनी चाहिए।

4- धर्म ग्रंथों में बहुत सी अच्छी बातें लिखी हैं लेकिन केवल उन्हें पढ़ने भर से कोई धार्मिक नहीं हो जाता। 

5. जिस प्रकार गंदे शीशे पर सूर्य की रोशनी नहीं पड़ती ठीक उसी प्रकार गंदे मन वालों पर ईश्वर के आशीर्वाद का प्रकाश नहीं पड़ सकता है । 

6. संसार का कोई भी इंसान अगर अपने जीवन में पूरी ईमानदारी से ईश्वर के प्रति समर्पित नहीं है तो उस इंसान को अपने जीवन से कोई भी उम्मीद नहीं रखनी चाहिए।

7. ईश्वर दुनिया के हर कण में विद्यमान है और ईश्वर के रूप इंसानों से आसानी से देखा जा सकता है इसलिए इंसान का सेवा करना ईश्वर की सच्ची सेवा है।

8. ईश्वर सभी इंसानों में है लेकिन सभी इंसानों में ईश्वर का भाव हो ये जरूरी नहीं है, इसलिए इंसान दुखों से पीड़ित है।

9. सत्य की राह बहुत ही कठिन है और जब हम सत्य की राह पर चलें तो हमे बहुत ही एकाग्र और विनम्र होना चाहिए क्यूंकि सत्य के माध्यम से ही ईश्वर का बोध होता है। 

10. अगर हमें पूर्व दिशा की तरफ जाना है तो हमें कभी भी पश्चिम दिशा में नहीं जाना चाहिए। यानि यदि हमें सफलता की दिशा में जाना है तो कभी भी उसके उलटी दिशा में नहीं जाना चाहिए। 

Web Title: Ramakrishna Paramahansa Birth Anniversary: 10 inspirational quotes of Guru of Swami Vivekanand

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