रमजान 17 मई से, इस बार होंगे 5 जुमे, सबसे लंबा रोजा 15 घंटे का, 16 जून को ईद!
By उस्मान | Published: May 15, 2018 02:56 PM2018-05-15T14:56:09+5:302018-05-15T14:56:09+5:30
रमजान के आखिरी 10 दिनों का सबसे ज्यादा महत्व होता हैं क्योंकि इन्हीं दिनों में कुरान पूरी हुई थी।
रामजान का पाक महीना शुरू होने वाला है। रमजान का चांद 16 मई को दिख सकता है और पहला रोजा 17 मई को रखा जा सकता है। हालांकि यह अभी भी चांद पर निर्भर है। अगर चांद आज यानी 15 की शाम नजर आ गया तो, 16 मई को पहला रोजा हो सकता है। इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना रमजान है जिसे अरबी भाषा में रमादान कहते हैं। नौवें महीने यानी रमजान को 610 ईस्वी में पैगंबर मोहम्मद पर कुरान प्रकट होने के बाद मुसलमानों के लिए पवित्र घोषित किया गया था। रोजे रखना इस्लाम के पांच स्तंभों (कलमा, नमाज, जकात, रोजा और हज ) में से एक है। कुरान सूरा 2 के आयात 183 और 184 मे हर व्यक्ति को इस पाक महीने मे हुजूर की तरह ही सुबह से लेकर शाम सूरज डूबने तक कुछ भी खाने-पीने की मनाही है। अल्लाह रोजेदार और इबादत करने वालों की दुआ कूबुल करता है और इस पवित्र महीने में गुनाहों से बख्शीश मिलती है।
रमजान और अहमियत
कुरान के अनुसार, अल्लाह ने अपने दूत के रूप में पैगम्बर साहब को चुना तथा रमजान के दौरान ही उनको कुरान के बारे में पता चला था। रमजान के आखिरी 10 दिनों का सबसे ज्यादा महत्व होता हैं क्योंकि इन्हीं दिनों में कुरान पूरी हुई थी। रमजान के महीने को तीन हिस्सों में बांटा गया है। पहला हिस्सा 1 से 10 रोजे तक होता है, जिसमें बताया गया है कि यह रहमतों (कृपा) का दौर होता है। वहीं दूसरे दस दिन मगफिरत (माफी) का और आखिरी हिस्सा जहन्नुम (नर्क) की आग से बचाने का करार दिया गया है।
15 घंटे छह मिनट का होगा सबसे लंबा रोजा
मुजफ्फरनगर स्थित चांद मस्जिद के मौलवी इकलास, रमजान के दिनों मुस्लिम समाज के लोग सुबह से शाम तक रोजा रखते हैं। सुबह सूर्य उगने से पहले ही सहरी की जाती है और शाम को सूर्य ढलने के बाद इफ्तार किया जाता है। इस बार प्रत्येक रोजा करीब 14.50 घंटे का रहेगा। सबसे लंबा रोजा 14 जून को 15 घंटे छह मिनट का होगा जबकि आखिरी के कुछ रोजे 15 घंटे के रहेंगे। रोजेदारों को 24 घंटों में करीब 15 घंटे भूखे-प्यासे रहकर नमाज, इबादत व तिलावत करना होगा।
15 को अलविदा जुमा और 16 को ईद
इस बार रमजान में पांच जुमे पड़ रहे हैं। अगर गुरुवार को पहला रोजा होता है, तो पहला जुमा 18 मई को, दूसरा जुमा 25 मई को, तीसरा जुमा 1 जून को, चौथा जुमा 8 जून को और पांचवां जुमा 15 जून को पड़ेगा। आखिरी जुमा अलविदा जुमा होगा। चांद दिखाई देने पर 16 जून को ईद उल फित्र मनाई जाएगी।
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रमजान से जुड़ी मान्यताएं
माना जाता है कि रमजान के पाक महीने में जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं।
इस माह में किए गए अच्छे कर्मों का फल कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है।
खुदा अपने बंदों के अच्छे कामों पर नजर रखता है, उनसे खुश होता है।
कहते हैं कि रमजान के पाक महीने में नर्क के दवाजे बंद कर दिये जाते हैं।
माहे रमजान में नफिल नमाजों का सवाब फर्ज के बराबर माना जाता है।
पाक रमजान महीने में फर्ज नमाजों का सवाब 70 गुणा बढ़ जाता है।
रोजेदार को झूठ बोलना, चुगली करना, गाली-गलौज करना, औरत को बुरी नजर से देखना, खाने को लालच भरी नजरों से देखना मना होता है।
रमजान के पाक महीने में अल्लाह से अपने सभी बुरे कर्मों के लिए माफी भी मांगी जाती है।
महीने भर तौबा के साथ इबादतें की जाती हैं। ऐसा करने से इंसान के सारे गुनाह माफ हो जाते हैं।
रमजान में जकात का महत्त्व
रमजान माह में जकात व फितरा का बहुत बड़ा महत्व है। ईद के पहले तक अगर घर में कोई नवजात शिशु भी जन्म लेता है तो उसके नाम पर फितरा के रूप में पौने तीन किलो अनाज गरीबों-फकीरों के बीच में दान किया जाता है। रमजान में मुकद्दस कुरान को नाजिल कर मुसलमानों को जिंदगी जीने का तरीका बताया गया है। इस्लाम धर्म में जकात (दान) और ईद पर दिया जाने वाले फितरा का खास महत्व है। रमजान माह में इनको अदा करने से महत्व और बढ़ जाता है। समाज में समानता का अधिकार देने एवं इंसानियत का पाठ पढ़ाने के लिए फितरा फर्ज है। ईद का चांद देखते ही फित्र वाजिब हो जाता है। ईद की नमाज पढ़ने से पहले इसे अदा कर देना चाहिए।
(फोटो- पिक्साबे)