Radha Ashtami Celebration 2023: जानें राधा अष्टमी उत्सव के बारे में, कब है, जानिए तारीख, समय, पूजा अनुष्ठान और महत्व

By सतीश कुमार सिंह | Published: September 21, 2023 03:54 PM2023-09-21T15:54:10+5:302023-09-21T15:55:54+5:30

Radha Ashtami Celebration 2023: राधा अष्टमी का महत्व राधा अष्टमी का हिंदुओं में बहुत महत्व है। इसी शुभ दिन पर राधा रानी का जन्म हुआ था। इस दिन को राधा रानी के भक्तों द्वारा बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है।

Radha Ashtami Celebration 2023 Date, Time, Puja Rituals and Significance Preparations for Radha Ashtami celebrations in full swing in Barsana | Radha Ashtami Celebration 2023: जानें राधा अष्टमी उत्सव के बारे में, कब है, जानिए तारीख, समय, पूजा अनुष्ठान और महत्व

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Highlights23 सितंबर, 2023 को मनाया जाएगा। जन्माष्टमी के त्योहार के ठीक 15 दिन बाद आता है।ऐसा माना जाता है कि राधा जी देवी लक्ष्मी का अवतार थीं।

Radha Ashtami Celebration 2023: राधा अष्टमी का त्योहार हिंदुओं के सबसे महत्वपूर्ण और शुभ त्योहारों में से एक माना जाता है। यह दिन पूरी तरह से देवी राधा रानी को समर्पित है। इस दिन को राधा रानी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। राधा रानी का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। 23 सितंबर, 2023 को मनाया जाएगा।

राधा अष्टमी तिथि और समय अष्टमी तिथि प्रारंभः 22 सितंबर, 2023 - 01:35 अपराह्न अष्टमी तिथि समाप्त - 23 सितंबर, 2023 - 12:17 अपराह्न। मध्याह्न समय - 23 सितंबर 2023 - सुबह 10:26 बजे से दोपहर 12:52 बजे तक।

राधा अष्टमी का त्योहार भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव, जन्माष्टमी के त्योहार के ठीक 15 दिन बाद आता है। किंवदंतियों के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि राधा जी देवी लक्ष्मी का अवतार थीं। देवी राधा 5000 साल पहले मथुरा में स्थित बरसाना गांव में पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। ऐसा माना जाता है कि वह वृषभानु और कीर्ति की गोद ली हुई बेटी थी।

राधा अष्टमी को राधा जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन को उत्तर भारत के राज्यों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। राधा अष्टमी का त्योहार बड़े मंच पर मनाया जाता है. क्योंकि लोग घर पर कीर्तन और भजन का आयोजन करते हैं। भारत के उत्तरी भाग में राधा रानी का जन्मोत्सव अत्यधिक भक्ति और अत्यधिक भव्यता के साथ मनाया जाता है।

सभी राधा कृष्ण मंदिरों को फूलों और रोशनी से सजाया जाता है, विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। राधा अष्टमी की पूर्व संध्या पर इस्कॉन मंदिरों में भव्य उत्सव आयोजित किया जाता है। राधा रानी के जन्मस्थान को गुब्बारों, रोशनी, रंग-बिरंगे तंबू और विभिन्न प्रकार के फूलों से सजाया गया है। वह अमर प्रेम और भक्ति का सबसे बड़ा उदाहरण हैं।

राधा कृष्ण का प्रेम और बंधन पवित्रता का एक महान उदाहरण है। वे दो अलग-अलग संस्थाएं नहीं हैं बल्कि उन्हें हमेशा एक आत्मा माना जाता है। जो भक्त इस शुभ दिन पर राधा जी की पूजा करते हैं, उन्हें सभी सांसारिक सुखों और खुशियों का आशीर्वाद मिलता है।

न केवल राधा जी बल्कि भगवान कृष्ण भी उन्हें अच्छे स्वास्थ्य, धन और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। राधा अष्टमी के इस शुभ दिन पर भक्त देवी राधा की पूजा करते हैं। वे व्रत रखते और भजन-कीर्तन करते। अधिकांश लोग राधा जी का जन्मोत्सव बड़े-बड़े आयोजन करके मनाते हैं।

बरसाना में राधा अष्टमी समारोह की तैयारियां जोरों पर

तीर्थयात्रियों की बड़े पैमाने पर आमद की उम्मीद के मद्देनजर राधा रानी की भूमि बरसाना में आगामी 23 सितंबर को शुरू हो रहे राधा अष्टमी समारोह के अवसर पर आराध्य के समुचित दर्शन और अन्य अनुष्ठानों में सुविधा के लिए व्यापक व्यवस्था की जा रही है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

जिलाधिकारी शैलेन्द्र सिंह ने बृहस्पतिवार को बताया, ‘‘राधा अष्टमी पर भगवान के दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए बरसाना के पूरे मेला क्षेत्र को सात क्षेत्रों और 16 सेक्टरों में विभाजित किया गया है।’’ उन्होंने कहा कि राधा अष्टमी के दिन लाखों तीर्थयात्री बरसाना आते हैं, इसलिए शहर के हर प्रवेश बिंदु पर स्थापित पार्किंग स्थलों से आगे किसी भी वाहन को जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

बरसाना की ओर जाने वाले विभिन्न मार्गों पर 125 बसें चलायी जाएंगी। दानघाटी मंदिर गोवर्धन के पुजारी पवन कौशिक ने बताया कि राधा अष्टमी राधा रानी के जन्म के उपलक्ष्य में मनाई जाती है और दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश से भक्त इसे मनाने के लिए यहां के मंदिरों में आते हैं।

मुख्य लाडली मंदिर के पुजारी और वर्तमान में मंदिर के रिसीवर रास बिहारी गोस्वामी ने कहा, ‘‘चूंकि राधा रानी का जन्म मूल नक्षत्र (एक अशुभ क्षण) के दौरान हुआ था इसलिए मूल शांति समारोह (अशुभ सितारों के बुरे प्रभाव को निष्क्रिय करना) मंदिर के गर्भगृह में एक घंटे के लिए किया जाएगा। यह 23 सितंबर को सुबह चार बजे से शुरू होगा।’’

पुजारी ने बताया कि विभिन्न सामग्री के साथ भगवान का अभिषेक समारोह सुबह लगभग छह बजे मंदिर के ‘जगमोहन’ (गर्भगृह के सामने का स्थान) में आयोजित किया जाएगा, ताकि भक्त इस समारोह को देख सकें। जिलाधिकारी ने राधा अष्टमी के लिए की गई व्यवस्थाओं के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा, ‘‘प्रकाश, पेयजल और प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स से सुसज्जित 39 पार्किंग स्थापित की जा रही हैं।

लाडली मंदिर में प्रवेश के लिए वन-वे व्यवस्था, मार्ग में 10 स्थानों पर भक्तों के आवागमन को नियंत्रित करने की व्यवस्था, तीन निकास द्वार, 10 एम्बुलेंस के साथ 13 चिकित्सा शिविर और प्रांतीय सशस्त्र सीमा बल (पीएसी) की कंपनियां पूरे मेले में तैनात की जाएंगी।’’ पुजारी रास बिहारी गोस्वामी ने कहा कि बरसाना और नंदगांव मंदिर के पुजारियों द्वारा संयुक्त रूप से बधाई समारोह (राधा के माता-पिता को उनके जन्म की बधाई) भी किया जाएगा और दोपहर एक बजे मंदिर के कपाट बंद कर दिये जाएंगे।

उन्होंने कहा कि दोपहर के सत्र में मंदिर के पुजारियों द्वारा भगवान को रथ में बैठाकर शहनाई और ढोल आदि की मधुर ध्वनि के बीच खुले में मंदिर की सफेद छतरी तक ले जाया जाएगा, ताकि भक्त भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित कर सकें। पुजारी ने कहा कि तीर्थयात्रियों को देवता के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित करने का अवसर देने के लिए उन्हें फिर से मंदिर के ‘जगमोहन’ में वापस लाया जाएगा।

बाद में रात नौ बजे महाआरती के साथ मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि अगले छह दिनों तक प्रसिद्ध मोरकुटी सहित आधा दर्जन स्थानों पर रास लीला का मंचन और प्रदर्शन किया जाएगा। रावल में लाडली मंदिर के पुजारी राहुल कल्ला ने कहा, ‘‘चूंकि राधा रानी का जन्म रावल में उनके मामा के घर में हुआ था, इसलिए रावल के लाडली मंदिर में भी विशेष अभिषेक किया जाएगा।’’

पुजारी ने कहा कि सुबह के सत्र के दौरान गोकुलनाथ मंदिर गोकुल के प्रसिद्ध संत गुरुशरणानंद महराज और पंकज महराज भी रावल मंदिर में भगवान की पूजा करते हैं। राधा अष्टमी के अवसर पर मंदिर के सामने मेले का आयोजन किया जाता है। 

 

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