Radha Ashtami 2019: श्रीकृष्ण ने क्यों तोड़ दी थी अपनी बांसुरी? क्या हुआ जब कान्हा से हुई राधा की आखिरी मुलाकात

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 6, 2019 08:26 AM2019-09-06T08:26:46+5:302019-09-06T08:26:46+5:30

Radha Ashtami 2019: राधा और कृष्ण की प्रेम कहानी दुनिया की सबसे अनूठी कहानियों में से एक है। दोनों के बीच यह केवल एक प्रेम-कहानी नहीं थी बल्कि एक अध्यात्मिक रिश्ता भी था।

Radha Ashtami 2019 why Shri Krishna breaks his bansuri after meeting Radha last time | Radha Ashtami 2019: श्रीकृष्ण ने क्यों तोड़ दी थी अपनी बांसुरी? क्या हुआ जब कान्हा से हुई राधा की आखिरी मुलाकात

Radha Ashtami 2019: राधा और कृष्ण की प्रेम कहानी

Highlightsभाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है राधाष्टमी जीवन के आखिरी वर्षों में राधा ने की थी श्रीकृष्ण से द्वारका जाकर मुलाकात

Radha Ashtami 2019: आज राधाजी के जन्मोत्सव का व्रत राधाष्टमी मनाया जा रहा है। यह व्रत हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को किया जाता है। इस मौके पर मथुरा के पास बरसाना, नंदगांव और रावल में राधा जन्मोत्सव की सबसे ज्यादा धूम रहती है। मान्यता है कि रावल ही राधा का मूल जन्मस्थान है। राधा का जब भी जिक्र होता है, भगवान श्रीकृष्ण की चर्चा भी जरूर होती है। दुनिया की सभी प्रेम कहानियों में सबसे अनूठी राधा और श्रीकृष्ण की प्रेम कहानी है। 

खास बात ये भी है कि राधा और कृष्ण की कहानी केवल एक प्रेम-कहानी नहीं थी बल्कि यह एक अध्यात्मिक रिश्ता भी था। यह ऐसा रिश्ता था जो भौतिकता से परे था। आज भी शायद ही देश में कोई ही ऐसा श्रीकृष्ण का मंदिर होगा जिसमें राधा जी की मूर्ति न लगी हो। कहते हैं कि राधा के निधन के साथ ही श्रीकृष्ण ने अपनी बांसुरी भी तोड़ कर फेंक दी थी।

Radha Ashtmi 2019: राधा का क्या हुआ और कैसे हुई उनकी मृत्यु

कुछ मान्यताओं के अनुसार कृष्ण की 64 कलाएं ही उनकी गोपियां थीं और राधा उनकी महाशक्ति थी। इसके मायने ये हुए कि राधा और गोपियां कृष्ण की ही शक्तियां थीं जिन्होंने स्त्री रूप लिया था। कथा के अनुसार श्रीकृष्ण जब कंस के वध के लिए मथुरा गये उसके बाद वे कभी नंदगांव वापस ही नहीं आ सके।

कंस वध के बाद श्रीकृष्ण ने शिक्षा हासिल की और बाद में उनका विवाह रुकमणी से हुआ और उन्होंने द्वारका नगरी बसा ली। कहते हैं कि दूसरी ओर राधा का भी विवाह मथुरा में ही अभिमन्यु नाम के युवक से हो गया और उन्होंने दांपत्य जीवन की सारी रस्में भी निभाई। श्रीकृष्ण तब भी राधा के मन में बसे हुए थे।

कई वर्षों के बाद अपने जीवन के आखिरी पलों में राधा ने श्रीकृष्ण से मिलने का फैसला किया। अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को पूरा कर राधा द्वारका की ओर रवाना हो गईं। 

कहते हैं कि राधा वहीं कृष्ण के महल में एक दासी के रूप में रहने लगीं। वहां मौजूद किसी को भी इनके बारे में जानकारी नहीं थी। राधा रोज इसी बहाने दूर से कृष्ण के दर्शन करतीं लेकिन बाद में उन्हें अहसास हुआ कि भौतिक रूप से करीब रहने का कोई मतलब नहीं है। इसके बाद उन्होंने बिना किसी को बताये द्वारका का महल छोड़ दिया।

Radha Ashtami 2019: श्रीकृष्ण की आखिरी बार बांसुरी सुन उनमें समा गईं राधा

श्रीकृष्ण तो सारी बातें जाने थे। राधा जब द्वारका छोड़ रही थीं उसी समय कृष्ण वहां प्रकट हुए। उन्होंने राधा से कुछ मांगने को कहा। राधा ने कुछ नहीं कहा। श्रीकृ्ष्ण ने फिर कुछ मांगने को कहा। 

इस पर राधा ने आखिरी बार श्रीकृष्ण से बांसुरी सुनने की इच्छा बताई। इसी धुन को सुनते-सुनते राधा श्रीकृष्ण में विलीन हो गईं। राधा के उनमें विलीन होते ही श्रीकृष्ण ने अपनी बांसुरी तोड़ी दी और इसे फेंक दिया।

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