Panchak, 26 January: अशुभ समय के तौर पर देखे जाने वाले पंचक की शुरुआत इस बार 26 जनवरी की शाम से हो रही है। पंचक काल पांच दिनों का होता है और इस दौरान शुभ कार्य करने की मनाही होती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार दिन के हिसाब से सभी पंचक का प्रभाव अलग-अलग होता है।
यह इस बात पर निर्भर है कि पंचक की शुरुआत किस दिन से हुई है। पंचक की शुरुआत अगर रविवार से होती है तो उसे रोग पंचक कहते हैं, ऐसे ही शनिवार से शुरू होने वाले पंचक को मृत्यु पंचक कहा जाता है। सोमवार से शुरू हुए पंचक को राजपंचक, मंगलवार को अग्नि पंचक, बुध और गुरुवार को अशुभ जबकि शुक्रवार को चोर पचंक कहा जाता है।
Panchak in January: 26 जनवरी से 31 जनवरी तक होगा पंचक
पंचाग के अनुसार पंचक की शुरुआत 26 जनवरी की शाम 5.40 बजे से हो रही है। इसका समापन 31 जनवरी को शाम 6.10 बजे तक हो जाएगा। इस अवधि के दौरान कई ऐसे काम होते हैं जिन्हें करने की मनाही होती है। मान्यता है कि पंचक के दौरान दक्षिण दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए। इसे दरअसल यम की दिशा के तौर पर जाना जाता है।
इसलिए इस दिशा में पंचक के दौरान यात्रा से हानि और कष्ट की आशंका रहती है। पंचक के दौरान सोने के लिए स्थान जैसे पलंग बनवाना, पलंग खरीदना, बिस्तर आदि खरीदना भी वर्जित है। इन दिनों में इन्हें खरीदना अशुभ माना गया है। पंचक काल में घर की छत नहीं डाली जानी चाहिए। इसे नुकसान और घर में क्लेश की आशंका बनी रहती है।
पंचक क्या होता है?
पंचक हर 27 दिन में आता है। इस लिहाज से अगला पंचक फरवरी में 23 तारीख से 28 तारीख के बीच लगेगा। दरअसल, वैदिक ज्योतिष के अनुसार पांच नक्षत्रों के विशेष मेल से बनने वाले योग को पंचक कहा जाता है।
चंद्रमा एक राशि में ढाई दिन रहता है। इस तरह दो राशियों में चंद्रमा पांच दिनों तक रहता है। इन्हीं पांच दिनों के दौरान चंद्रमा जब आखिरी पांच नक्षत्रों धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती से होकर गुजरता है तो इसे पंचक कहते हैं। कुल 27 नक्षत्र होते हैं। इसी में आखिरी पांच को दूषित माना गया है।