निर्जला एकादशी 2020: नारद जी ने 1 हजार साल रखा था निर्जला एकादशी का व्रत, पढ़ें ये पौराणिक कथा
By मेघना वर्मा | Published: May 29, 2020 01:13 PM2020-05-29T13:13:08+5:302020-05-29T13:13:08+5:30
निर्जला एकादशी २०२०: निर्जला व्रत इस साल 2 जून को पड़ रही है। इस व्रत को हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है।
निर्जला एकादशी २०२०: इस बार निर्जला एकादशी का व्रत 2 जून को पड़ रहा है। हिन्दू धर्म में एकादशी को सबसे महत्वपूर्ण बताया गया है। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं। जिसे कुछ महत्वपूर्ण एकादशी में गिना जाता है। मान्यताओं के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत ऐसा है जिसे करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं।
माना जाता है कि साल भर की सभी एकादशियों का फल केवल एक दिन के इस एकादशी व्रत को करने से मिलता है। ऐसी भी मान्यता है कि इसे महाभारत काल में पांडु पुत्र भीम ने किया था। इसलिए इसे भीम एकादशी भी कहते हैं।
Nirjala Ekadashi 2020: निर्जला एकादशी व्रत कब है
निर्जला व्रत इस साल 2 जून को पड़ रही है। इस व्रत को हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार एक साल में कुल 24 एकादशियां पड़ती हैं। सभी एकादशी में भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है लेकिन निर्जला एकादशी करने से सभी एकादशियों का फल साधक को मिलता है।
निर्जला एकादशी तिथि - 2 जून 2020
एकादशी तिथि प्रारम्भ - 1 जून दोपहर 2 बजकर 57 मिनट पर
एकादशी तिथि समाप्त - 2 जून को दोपहर 12 बजकर 4 मिनट पर
निर्जला एकादशी व्रत के दौरान किन बातों का रखें ध्यान
निर्जला एकादशी व्रत करने वालों को साफ-सफाई और शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए आपको एक दिन पहले से ही तैयारी शुरू करनी चाहिए। एक दिन पहले से ही आप सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का भी पालन अनिवार्य रूप से करें।
ब्रह्मा जी ने दिया निर्जला एकादशी व्रत रखने का सुझाव
पुरानी कथाओं के अनुसार एक बार देवर्षि नारद की विष्णु भक्ति देखकर ब्रह्मा जी बहुत प्रसन्न हुए थे। नारद जी ने ब्रह्मा जी से कहा कि उन्हें कोई ऐसा मार्ग बताएं जिससे वो श्री विष्णु के चरणकमलों में स्थान पा सकें। पुत्र नारद का नारायण प्रेम देखकर ब्रह्मा जी श्री विष्णु की प्रिय निर्जला एकादशी व्रत करने का सुझाव दिया।
एक हजार वर्षों तक किया व्रत
लोक कथाओं के अनुसार नारद जी ने विष्णु जी के चरणों में स्थान पाने के लिए एक हजार वर्षों तक निर्जल रहकर यह कठोर व्रत किया। निर्जल व्रत करने पर उन्हें चारों तरफ नारायण ही नारायण दिखाई देने लगे। इसके बाद भगवान विष्णु ने उन्हें साक्षात दर्शन किए।
उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर नारायण ने उन्हें अपनी निश्छल भक्ति का वरदान देते हुए अपने श्रेष्ठ भक्तों में स्थान दिया और तभी से निर्जला व्रत की शुरुआत हुई।