नागदाः हनुमान मंदिर में सात्विक वस्त्र में पहुंचे भक्त, जानें क्या है पूरा मामला
By बृजेश परमार | Published: June 27, 2023 07:04 PM2023-06-27T19:04:27+5:302023-06-27T19:05:06+5:30
नागदा में इंगोरिया रोड़ स्थित खडे हनुमान मंदिर की स्थापना पूज्य संत भोलेनाथ महाराज ने 1980 में की थी।
उज्जैनः नागदा के इंगोरिया रोड स्थित खडे हनुमान मंदिर में जब कुछ श्रद्धालू अमर्यादित वस्त्र पहनकर पहुंचने लगे तो सह पुजारी ने भारतीय संस्कृति का पालन करते हुए सात्विक वस्त्र में प्रवेश करें विनम्र आग्रह का बोर्ड चस्पा कर दिया। प्रतिक्रिया स्वरूप जागृति आई और दो दिनों में एक भी श्रद्धालू फटी जिंस,हाफ पेंट एवं नाइटी जैसे वस्त्रों में नहीं पहुंचा। कुछ युवा धोती पहनकर जरूर पहुंचे हैं।
नागदा में इंगोरिया रोड़ स्थित खडे हनुमान मंदिर की स्थापना पूज्य संत भोलेनाथ महाराज ने 1980 में की थी। मंदिर की पूजा का जिम्मा हरिओम पुजारी के पास है। उनके पुत्र पवन सह पुजारी हैं। इस मंदिर का संचालन क्षेत्रीय कालोनी के रहवासियों के माध्यम से ही होता है।
पवन पुजारी बताते हैं कि हाल ही के दिनों में मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं में कुछ ऐसे थे जो आए दिन हाफ पेंट,कटी फटी जिंस ,नाईट सूट, मैक्सी,छोटे वस्त्र, बर्मुंड़ा,मिनी स्कर्ट जैसे वस्त्र पहनकर मंदिर के अंदर तक आ रहे थे। ऐसे श्रद्धालुओं को सीधे कुछ बोलने की बजाय उन्होंने सोमवार को मंदिर के द्वार पर “विनम्र आग्रह का बोर्ड लगा दिया।
जिसमें श्रद्धालू सभी महिलाओं एवं पुरुषों से निवेदन किया गया कि मर्यादित वस्त्र पहनकर ही मंदिर में प्रवेश करें।छोटे वस्त्र ,हाफ पेंट,बर्मुंड़ा,मिनी स्कर्ट,नाईट सूट कटी फटी जिन्स आदि ऐसे कपडे पहनकर आने पर बाहर से ही दर्शन कर सहयोग करें।भारतीय संस्कृति का पालन करते हुए सात्विक वस्त्र में प्रवेश करें”।
पं.पवन पूजारी के अनुसार सीधे बोलने पर श्रद्धालू पुरूष एवं महिलाओं को बुरा लग सकता था इसलिए आग्रह का बोर्ड लगाया गया।सोमवार सुबह मंदिर खुलने के साथ ही बोर्ड लगाया गया था। इससे सुधार हुआ है ।सोमवार संध्या आरती एवं मंगलवार को सुबह एवं संध्या आरती एवं अन्य समय में ऐसा एक भी श्रद्धालू नहीं देखा गया।
जिसने अमर्यादित वस्त्र पहन रखें हो।परिवर्तन यह देखने में आया है कि कुछ युवा धोती पहनकर मंदिर में अंदर दर्शन के लिए आने लगे हैं।मंदिर में लगे विनम्र आग्रह के बोर्ड को लेकर पास की कालोनी की रहवासी ज्योति रघुवंशी का कहना था कि ये मंदिर है यहां मर्यादा का पालन होना चाहिए।
ये तो श्रद्धालू को खूद ही सोचना चाहिए कि उसे सात्विक वस्त्रों में यहां आना चाहिए। युवा जयेश पटेल का कहना था कि आधुनिकता की मधांता में कुछ लोग संस्कार ही भूल रहे हैं उन्हे याद दिलाने का यह तरीका अच्छा है इससे किसी प्रकार के विवाद की स्थिति भी नहीं बनती है और सामान्य रूप से ही सब ठीक हो गया।
हिंदू जागरण मंच के प्रांत संयोजक भेरुलाल टांक के अनुसार पुजारी ने विनम्रता से समाज को संदेश दिया है।मंदिर में शालीनता से ही जाना चाहिए।भक्त को खूद ही शालीन संयत होकर जाना हमारी परंपरा और संस्कार में है।इसका पालन होना चाहिए।पंडित का विनम्र आग्रह संदेश सराहनीय है।