Mokshada Ekadashi 2019: आज है मोक्षदा एकादशी, पढ़िए पूरी व्रत कथा

By मेघना वर्मा | Published: December 3, 2019 11:21 AM2019-12-03T11:21:45+5:302019-12-08T08:29:03+5:30

Mokshada Ekadashi Ki Katha: मोक्षदा एकादशी के दिन जो भी मन से पूजन करता है उसके सभी पाप कट जाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की तुलसी की मंजरी, धूप और दीपों से पू्जा की जाती है।

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Mokshada Ekadashi 2019: आज है मोक्षदा एकादशी, पढ़िए पूरी व्रत कथा

Highlightsहर साल पड़ने वाली मोक्षदा एकादशी के दिन गीता का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है।माना जाता है कि इस एकादशी के व्रत का असर मरने के बाद तक रहता है।

आठ दिसंबर को देशभर में मोक्षदा एकादशी का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन को गीता जंयती के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म में एकादशी को काफी महत्व दिया जाता है। मोक्षदा एकादशी एक ऐसी एकादशी है जिसमें श्रीकृष्ण की पूजा भी की जाती है। 

हर साल पड़ने वाली मोक्षदा एकादशी के दिन गीता का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है। इसे गीता एकादशी भी कहा जाता है। माना जाता है कि इस एकादशी के व्रत से पूर्वजों को मुक्ति मिलती है। माना जाता है कि इस एकादशी के व्रत का असर मरने के बाद तक रहता है। मोक्षदा एकादशी के दिन उपवास रखने के साथ-साथ व्रत कथा पढ़ने का भी अपना अलग महत्व है।

Mokshada Ekadashi 2019 Subh Muhurat, मोक्षदा एकादशी का शुभ मुहूर्त

मोक्षदा एकादशी 2019 तिथि

8 दिसम्बर 2019

मोक्षदा एकादशी 2019 शुभ मुहूर्त 

एकादशी प्रारंभ- 7 दिसम्बर 2019 सुबह 6 बजकर 34 मिनट से
एकादशी समाप्त- 8 दिसम्बर 2019 सुबह 8 बजकर 29 मिनट तक
पारण का समय- 9 दिसम्बर 2019 सुबह 7 बजकर 6 मिनट से 9 बजकर 9 मिनट तक 

मोक्षदा एकादशी व्रत कथा (Mokshada Ekadashi Vrat Katha)

लोककथा की मानें तो प्रचीन समय में चंपा नाम की एक नगरी में वहां की प्रजा बेहद खुशहाल रहती थी। इस नगरी के राजा थे वैखानस। जिन्हें चारों वेद का ज्ञान था। बताया जाता है कि वे बड़े धार्मिक थे। एक बार की बात है कि राजा ने एक सपना देखा। उन्होंने देखा कि उनके पिता नरक की आग में जल रहे हैं। राजा ने सपने के बारे में अपनी पत्नी को बताया। पत्नी ने राजा को गुरुओं से सलाह लेने की बात की।

बैखानस आश्रम गए और वहां तपस्या में लीन गुरुओं के पास जाकर बैठ गए। राजा को देख पर्वत मुनि ने उनके आने का कारण पूछा। राजा ने अपना सारा दुख कह डाला। इस पर पर्वत मुनि ने राजा से कहा- 'तुम्हारे पिता को उनके कर्मों का फल मिल रहा है। उन्होंने तुम्हारी माता को यातनाएं दी थीं। इसी कारण वे पाप के भागी बने और अब नरक भोग रहे हैं।' 

इस पर मुनि ने उन्हें मोक्षदा एकादशी व्रत करने की सलाह दी। राजा ने इस व्रत को पूरे विधि पूर्वक किया। उनके व्रत का पुण्य अपने पिता को अर्पण कर दिया। व्रत के प्रभाव से राजा के पिता को नरक से मुक्ति मिल गई। तभी से मोक्षदा एकादशी पर व्रत रखने का प्रावधान है।

मोक्षदा एकादशी का महत्व

बताया जाता है कि मोक्षदा एकादशी के दिन जो भी मन से पूजन करता है उसके सभी पाप कट जाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की तुलसी की मंजरी, धूप और दीपों से पू्जा की जाती है। कहते इस व्रत को रखने से स्वर्ग के रास्ते खुल जाते हैं। मोक्षदा एकादशी के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भगवद् गीता का वचन कहा था।

English summary :
Reading holy book Gita on Mokshada Ekadashi is considered auspicious. It is also called Geeta Ekadashi. Fasting of this Ekadashi is believed to free the ancestors. Along with fasting on the day of Mokshada Ekadashi, reading fasting stories also has its own significance.


Web Title: Mokshada Ekadashi vrat katha in hindi, mokshada ekadashi ki katha, mokshada ekadashi ki kahani

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