Mohini Ekadashi 2020: मोहिनी एकादशी आज, इस व्रत कथा बिना अधूरा है आपका उपवास-जाने शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
By मेघना वर्मा | Published: May 3, 2020 06:16 AM2020-05-03T06:16:07+5:302020-05-03T06:16:07+5:30
समुद्र मंथन से अमृत कलश से निकले अमृत को देवों को पिलाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया था।
भगवान विष्णु की प्रिय मोहिनी एकादशी आज मनाई जाएगी। भगवान विष्णु को जग का पालनहार कहा जाता है। वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी का व्रत श्रद्धालु पूरे मन से रखते हैं। जिसमें भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार की पूजा की जाती है।
इस साल मोहिनी एकादशी का व्रत 3 मई को पड़ा है। मान्यता है इसी दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया था। समुद्र मंथन से अमृत कलश से निकले अमृत को देवों को पिलाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया था।
जब देवताओं को कराया था अमृत का पान
पौराणिक कथा के अनुसार जब देवराज इंद्र दुर्वाशा ऋषि द्वारा दिए गए श्राप के कारण अपनी सारी शक्तियां खो चुके थे तब असुर बलवान हो गए। समुद्र मंथन के अलावा कोई रास्ता ना बचा। जब समुद्र मंथन हुआ तो उसमें से अमृत निकला। असुर चाहते थे कि वो पहले उसे पीएं एगर ऐसा होता तो असुर अमर हो जाते।
तभी भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप लिया और प्रकट हुए। मोहिनी का रूप देखकर सभी असुर ने प्रस्ताव रखा कि अमृत का पान मोहिनी के हाथों ही करें। तब भगवान विष्णु ने छल से असुरों को जल का पान और देवताओं को अमृत का पान करवाया। जिसके बाद सभी देव अमर हो गए।
मोहिनी एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त
मोहिनी एकादशी की तिथि: 3 मई 2020
एकादशी तिथि प्रारंभ: 3 मई 2020 को सुबह 9 बजकर न मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त: 4 मई सुबह 6 बजकर 12 मिनट तक
पारण का समय: 4 मई को दोपहर 1 बजकर 38 मिनट से शाम 4 बजकर 18 मिनट तक
मोहिनी एकादशी की व्रत कथा
प्राचीन काल में सरस्वती नदी के किनारे भद्रावती नाम का एक नगर था। वहां धनपाल नाम का वैश्य रहता था। वो सदा पुण्य कार्य करता था। उसके पांच बेटे थे। सबसे छोटा बेटा हमेशा पाप कर्मों में अपने पिता का धन लुटाता रहता था। एक दिन वह नगर वधू के गले में बांह डाले चौराहे पर घूमता देखा गया। नाराज होकर पिता ने उसे घर से निकाल दिया।
वैश्य का बेटा अब दिन-रात शोक में रहने लगा। एक दिन महर्षि कौण्डिल्य के आश्रम पर जा पहुंचा। वैशाख का महीना था। कौण्डिल्य गंगा में स्नान करके आए थे। वह मुनिवर कौण्डिल्य के पास गया और हाथ जोड़कर बोला, ब्राह्मण ! द्विजश्रेष्ठ ! मुझ पर दया कीजिए और कोई ऐसा व्रत बताइए जिसके पुण्य के प्रभाव से मेरी मुक्ति हो।'
तब ऋषि कौण्डिल्य ने बताया कि वैशाख मास के शुक्लपक्ष में मोहिनी नाम से प्रसिद्ध एकादशी का व्रत करो। इस व्रत के पुण्य से कई जन्मों के पाप भी नष्ट हो जाते हैं। धृष्टबुद्धि ने ऋषि की बताई विधि के अनुसार व्रत किया। जिससे उसके सारे पार कट गए और वह विष्णु धाम चला गया।
होती है मोक्ष की प्राप्ति
माना जाता है कि मोहिनी एकादशी के दिन व्रत करने से लोगों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता ये भी है कि इस दिन व्रत करने वाले जातकों की सारी परेशानी भगवान विष्णु हर लेते हैं।