मोहिनी एकादशी: इस दिन व्रत रखने से मिलती है पापों से मुक्ति, शुभ मुहूर्त में करें पूजा

By गुलनीत कौर | Published: April 26, 2018 07:18 AM2018-04-26T07:18:21+5:302018-04-26T07:18:21+5:30

पौराणिक कथा के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु ने स्त्री रूप धारण किया था। उनके इस स्त्री रूप को मोहिनी के नाम से जाना गया।

Mohini ekadashi 2018: Know date, timing, puja vidhi, shubh muhurat and significance | मोहिनी एकादशी: इस दिन व्रत रखने से मिलती है पापों से मुक्ति, शुभ मुहूर्त में करें पूजा

मोहिनी एकादशी: इस दिन व्रत रखने से मिलती है पापों से मुक्ति, शुभ मुहूर्त में करें पूजा

हिन्दू धर्म में वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को मोहिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इसदिन सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा, व्रत और उन्हें प्रसन्न करने के विभिन्न उपाय किए जाते हैं। इस साल 26 अप्रैल को मोहिनी एकादशी मनाई जाएगी। एकादशी तिथि 25 अप्रैल रात 10 बजकर 46 मिनट पर ही प्रारंभ हो जाएगी जो कि 26 अप्रैल की रात 9 बजकर 19 मिनट तक रहेगी। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार मोहिनी एकादशी का व्रत करने से मनुष्य जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। 

एक पौराणिक कथा के अनुसार इसीदिन भगवान विष्णु ने स्त्री रूप धारण किया था। उनके इस स्त्री रूप को मोहिनी के नाम से जाना गया इसलिए इस दिन को मोहिनी एकादशी के रूप में जाना जाता है। मोहिनी एकादशी पर भगवान विष्णु और भगवान राम दोनों की पूजा की जाती है। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 48 मिनट पर प्रारंभ हो जायेगा जो कि रात 8 बजकर 7 मिनट तक चलेगा। इस बीच कभी भी पूजा की जा सकती है।

मोहिनी एकादशी व्रत कथा

एक पौराणिक वर्णन के मुताबिक पहली बार भगवान राम को ऋषि वशिष्ठ ने मोहिनी एकादशी के व्रत के महत्व के बारे में बताया था। उन्होंने श्रीराम को इस एकादशी की कथा सुनाई थी। कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान क्षीरसागर से अमृत की प्राप्ति हुई। अमृत देखते ही देवगणों और राक्षसों के बीच उसे पाने के लिए लड़ाई होने लगी। देवताओं को यह भय था कि यदि यह अमृत राक्षसों के हाथ लग गया तो वे उसका सेवन कर हमेशा के लिए अमर हो जाएंगे। यह अमृत उन्हें ताकतवर बना देगा और फिर राक्षों को पराजित करना नामुमकिन हो जायेगा। 

सभी देवता चिंता में पड़ गए और उन्होंने फैसला किया कि वे भगवान विष्णु से मदद मांगेंगे। देवताओं ने भगवान विष्णु से कहा कि हे प्रभु आप सबसे बुद्धिमान हैं, अब आप ही इस परेशानी का कुछ हल बताएं। भगवान विष्णु जानते थे कि इस समस्या का बलपूर्वक समाधान नहीं निकाला जा सकता। इसके लिए किसे तरकीब का ही इस्तेमाल करना अहोगा। तभी भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार धारण किया। मोहिनी एक खूबसूरत स्त्री थी जिसे देखते ही सभी राक्षस उसकी ओर मोहित हो उठे।

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मोहिनी और राक्षसों के बीच आई, उसने कब राक्षसों से अमृत लेकर देवताओं को पिला दिया इस बात की राक्षसों को भनक भी नहीं लगी। मोहिनी ने देवताओं को अमृत और राक्षसों को साधारण जल पिला दिया। इस प्रकार देवता अमृत पीकर अमर हो गए और राक्षसों को पराजित करने में भी सफल हुए।

मोहिनी एकादशी व्रत और पूजा विधि

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता सीता से बिछड़ने के वियोग में भगवान राम ने मोहिनी एकादशी की व्रत किया था। व्रत नियम के अनुसार इस व्रत का पालन दशमी तिथि से ही प्रारंभ किया जाना चाहिए। दशमी तिथि से ही व्रत करने वाले को सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए। व्रत में केवल फलाहार का सेवन हो और ब्रह्मचर्य के नियमों का भी पालन करना अति आवश्यक है। 

मोहिनी एकादशी की सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, लाल या पीले वस्त्र धारण करें और फिर भगवान विष्णु की पूजा करने। भगवान विष्णु के स्थान पर उनकी के मानवातार भगवान राम की पूजा भी कर सकते हैं। पूजा के दौरान इस मंत्र का 108 बार जप करें - 'ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम:’ भगवान को प्रसाद का भोग लगाएं और अंत में उनसे सुख-शांति या अपने मन की इच्छा को पूर्ण करने के लिए प्रार्थना करें। 

Web Title: Mohini ekadashi 2018: Know date, timing, puja vidhi, shubh muhurat and significance

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