भारत की इस मंदिर का प्रसाद खाना होता है अशुभ, जानिए क्या है मंदिर में दर्शन के नियम
By मेघना वर्मा | Published: December 9, 2019 01:03 PM2019-12-09T13:03:04+5:302019-12-09T13:03:04+5:30
ये मंदिर इतनी शक्तिशाली और चमत्कारिक मानी जाती है जिसकी वजह से सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में यह विख्यात है। मंदिर के कई ऐसे रहस्य है जिसका पता आज तक नहीं चल पाया है।
भारत देश अनोखा देश हैं। यहां हर गली और हर मुहल्ले में छोटी या भव्य मंदिर दिख जाती है। भारत के लोगों की आस्था भी देखते ही बनती हैं। देश में कुछ ऐसे भी मंदिर हैं जहां लोग भगवान के साथ भूत-प्रेत की शक्तियों का भी एहसास करते हैं। कुछ मंदिर तो ऐसे भी हैं जहां भूत-प्रेतों से छुटकारा दिलाया जाता है। ऐसा ही एक मंदिर है राजस्थान के दौसा जिले में। जिसका नाम है मेंहीपुर बालाजी।
कबीर एक हजार साल पुराने इस मंदिर का रहस्य आज भी लोगों के लिए रहस्य ही है। बताया जाता है कि इस मंदिर में सालों पहले अपने आप ही चट्टान पर हनुमान जी की आकृति उभर आई थी। इसके बाद इन्हें हनुमान जी का स्वरूप माना जाने लगा। तब से आज तक इस मंदिर में लोग साल भर दर्शन करने आते हैं।
मंदिर में भगवान हनुमान के चरणों के पास एक छोटी सी कुंड है। जिसका जल कभी खत्म नहीं होता। कहते हैं यहा जल भी उसी समय का है जब भगवान की प्रतिमा चट्टान पर उभर कर आई थी। ये मंदिर इतनी शक्तिशाली और चमत्कारिक मानी जाती है जिसकी वजह से सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में यह विख्यात है। मंदिर के कई ऐसे रहस्य है जिसका पता आज तक नहीं चल पाया है।
बुरी आत्माओं से मिलता है छुटकारा
मेंहदीपुर बालाजी में श्रद्धालु बुरी आत्माओं से छुटकारा पाने के लिए आते हैं। माना जाता है कि यहां होने वाले जादू और तंत्र-मंत्र से पीड़ितों को रोगों से छुटकारा मिलता है। मंदिर में पीड़ाओं से मुक्ति पाने के लिए एकमात्र मार्ग माना जाता है। सिर्फ यही नहीं गंभीर रोगियों को लोहे की जंजीर से बांधकर मंदिर में लाया जाता है। यहां आने वाले पीड़ित लोगों को देखकर समान्य लोगों की रूह कांप जाती है।
तीन देवताओं का है वास
इस मंदिर में तीन देवताओं का वास होता है। इनमें बाल रूप में हनुमान जी, भैरों बाबा और प्रेत राज सरकार का वास है। सभी दर्शनार्थी तीनों देवों के दर्शन कर कृतार्थ महसूस करते हैं। यहां पर कामना पूरी होने के लिए अर्जी लगाई जाती है। माना जाता है कि जो भी जातक पूरे नियम से मंदिर में दर्शन करता है उसकी मनोकामना हमेशा पूरी होती है। आइए आपको बताते हैं क्या है मंदिर के नियम
नियम 1
मंदिर में दर्शन करने का सबसे पहला नियम ये है कि यहां आपको हलावाई से दरख्वास्त लेनी पड़ती है। इसमें दौने में आपको छह बूंदी के लड्डू और बताशे के साथ एक घी का दीपक मिलता हैं।
नियम 2
इसके बाद आप इस दौने को मंदिर के पुजारी को देते हैं। जिसमें से कुछ बताशे और लड्डू निकलकर वह अग्निकुंड में डाल देता है। माना जाता है कि जिस समय कुंड में आपके लाए बताशे जल रहे हों उस समय आपको अपनी मनोकामना मान लेनी चाहिए।
नियम 3
वहीं पुजारी जब आपको आपका दौना प्रसाद वापिस करे तो उसमें से लड्डू निकालकर अपने पास रख लें। अब शेष दौने को मंदिर में पुजारी को दे दें। वहीं दौना लेकर प्रेतराज सरकार के दरबार में दर्शन करके उसे बाहर बने चबूतरे पर फेंक दें। इसके बाद मंदिर के बाहर आकर वो लड्डू खाएं जो बालाजी को चढ़ा हुआ था। इस मंदिर से लगाए गए प्रसाद को कभी भी अपने साथ वापिस ना लाएं।