रमजान का पाक महीना खत्म होते ही मुसलिम समुदाय के सबसे बडे पर्व ईद मनाया जाएगा। ये पर्व बेहद खास माना जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार 10वें शव्वाल की पहली तारीख को ईद मनाई जाती है। वहीं रमजान के आखिरी दिन चांद देखकर भी ईद मनाई जाती है। उम्मीद की जा रही थी शनिवार यानी 23 मई को ईद का चांद दिखा तो पूरे देश में 24 मई को ईद मनायी जाएगी। मगर 23 को चांद नजर नहीं आया। अब 24 मई को चांद दिखाई देगा तो 25 मई को ईद मनायी जाएगी।
ईद उल फितर को मीठी ईद भी कहा जाता है। इस दिन लोग घरों में मीठे पकवान बनाते हैं। इस दिन सेवईं बनाना अच्छा माना जाता है। लोग इस दिन 30 रोज रखने वाले रोजे को तोड़ते हैं। एक-दूसरे के गले मिलते हैं और सारे गिले-शिकवे दूर करते हैं। मगर इस बार कोरोना वायरस और कोविड-19 के चलते ऐसा करना उचित नहीं हैं। नमाज पढ़ने के बाद सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करना जरूरी हैं।
वहीं देश भर में इस लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए सभी मस्जिदों को बंद किया गया है। एएनआई के ट्वीट की मानें तो केरल के कोच्ची में जुमा मस्जिद को सभी मुस्लिम भाईयों के लिए बंद किया गया है। ताकि किसी भी तरह से एक साथ एक जगह पर भीड़ इकट्ठी ना हो।
दिल्ली समेत देश के अलग अलग हिस्सों में सोमवार को ईद मनाई जाएगी और रविवार को आखिरी रोज़ा होगा। दिल्ली की दो ऐतिहासिक मस्जिदों के शाही इमामों ने ऐलान किया कि शनिवार को कहीं से भी चांद दिखने की खबर नहीं मिली। इसलिए ईद-उल-फित्र का त्यौहार सोमवार को मनाया जाएगा।
जामा मस्जिद के इमाम सैयद अहमद बुखारी ने कहा कि ईद सोमवार को मनाएंगे। शनिवार को चांद नहीं दिखा है। दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम, सैयद अहमद बुखारी ने कहा कि 25 मई को मनाएंगे, क्योंकि आज चांद नहीं देखा गया। यह महत्वपूर्ण है कि हम सावधानी बरतें और सोशल डिस्टेंशिंग बनाए रखें। हमें हाथ मिलाने और गले मिलने से दूर रहना चाहिए। हमें सरकार के दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए।
ईद-उल-फितर का इतिहास
मान्यता है कि शव्वाल महीने के पहले दिन हजरत मुहम्मद मक्का शहर से मदीना के लिए निकले थे। मक्का से मोहम्मद पैगंबर के प्रवास के बाद पवित्र शहर मदीना में ईद-उल-फितर का उत्सव शुरू हुआ था। बताया ये भी जाता है कि पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बद्र की लड़ाई में इस दिन जीत हासिल की थी। तभी से इस दिन लोग सेवईं खाकर मुंह मीठा करते हैं और ईद मनाते हैं।