मकर संक्रांति 2019: जानिए मकर संक्रांति पर क्यों उड़ाई जाती है पतंग, पढ़े इस परंपरा का इतिहास
By मेघना वर्मा | Published: January 14, 2019 10:14 AM2019-01-14T10:14:05+5:302019-01-14T11:40:01+5:30
मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की ये परम्परा प्रभु श्री राम ने शुरू की थी। तुलसी दास जी की राम चरित मानस में भगवान राम का बालरूप का वर्णन किया गया है।
भारत में अनेकों त्योहार के अपने अलग-अलग मायने होते हैं। सभी को अलग तरीके से मनाया और सभी की अलग मान्यताएं व परंपराएं भी प्रचलित होती हैं। उन परंपराओं के पीछे अनेक कारण भी हैं जो कहीं न कहीं हमारे लिए उपयोगी भी है। मकर संक्रांति भी हमारे देश के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार संपूर्ण भारत में अनेक नामों व तरीकों से मनाया जाता है। उत्तर भारत में इस दिन पतंग उड़ाने की परंपरा है। आइए आपको बताते हैं कब और कैसे शुरु हुई ये परंपरा और क्या हैं इसके फायदे।
सूर्य के संपर्क में हो जाते हैं सभी रोग नष्ट
मकर संक्रांति पर्व पर पतंग उड़ाने के पीछे कोई धार्मिक कारण नहीं अपितु मनोवैज्ञानिक पक्ष है। पौष मास की सर्दी के कारण हमारा शरीर कई बीमारियों से ग्रसित हो जाता है जिसका हमें पता ही नहीं चलता। इस मौसम में त्वचा भी रुखी हो जाती है। जब सूर्य उत्तरायण होता है तब इसकी किरणें हमारे शरीर के लिए औषधि का काम करती है। पतंग उड़ाते समय हमारा शरीर सीधे सूर्य की किरणों के संपर्क में आ जाता है जिससे अनेक शारीरिक रोग स्वत: ही नष्ट हो जाते हैं।
प्रभु राम से शुरू हुई थी ये परम्परा
मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की ये परम्परा प्रभु श्री राम ने शुरू की थी। तुलसी दास जी की राम चरित मानस में भगवान राम का बालरूप का वर्णन किया गया है। इसमें भगवान राम के पतंग उड़ाने की क्रिया को भी दर्शाया गया है। तमिल की तन्दनानरामायण में भी इस घटना का जिक्र किया गया है। इसके अनुसार मकर संक्रांति के दिन ही भगवान राम और हनुमान जी की दोस्ती हुई थी।
गुजरात में होता है पतंग महोत्सव
मकर संक्रांति के इस मौके पर हर साल गुजरात में पतंग महोत्सव मनाया जाता है। इसी दिन आसमान पर रंग-बिरंगी और कई आकार की पतंगे हवा में छठा बिखेरती हैं। इस बार मकर संक्रांति के उपलक्ष्य पर शहर में तीन जगह पतंग महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इसमें सबसे बड़ा आयोजन ग्वालियर व्यापार मेले में 13 जनवरी को होगा। इसमें अलग-अलग राज्यों के पतंगबाज शामिल होंगे। वहीं इस बार मुरार में भी पतंग महोत्सव मनाया जाएगा।