हिन्दू धर्म में भगवान शिव को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। शिव अपने भक्तों की हर हाल में रक्षा करते हैं। शिव को कई नामों से पुकारा जाता है। उन्हीं में से एक नाम है महेश। इसी नाम पर हर साल महेश नवमी मनाई जाती है। जिसे माहेश्वरी समाज का प्रमुख त्योहार माना जाता है।
पुराणों की मानें तो माहेश्वरी समाज की उत्पति भगवान शिव के वरदान देने से हुई थी। इसलिए इस दिन को माहेश्वरी समाज पूरी धूम-धाम से मनाता है। भगवान शंकर के इस पर्व पर लोग भगवान शिव और पार्वती की अराधना करते हैं। आइए आपको बताते हैं इस बार महेश नवमी कब है-
महेश नवमी कब है
महेश नवमी इस बार 31 मई को पड़ रही है। इस बार नवमी तिथि 30 मई को शाम 7 बजकर 55 मिनट से शुरू होगी। जो 31 मई को शाम 5 बजकर 30 मिनट पर रहेगा।
महेश नवमी - 31 मईनवमी तिथि प्रारम्भ - मई 30, 2020 को 07:57 PMनवमी तिथि समाप्त - मई 31, 2020 को 05:36 PM
महेश से बना माहेश्वरी समाज
पुराणों की मानें माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति भगवान शंकर के वरदान स्वरूप मानीजाती है। इसलिए माहेश्वरी समजा इस दिन को बड़े खास तरह से मनाता है। इस दिन भगवान शंकर और पार्वती की पूजा की जाती है। पौराणिक कथाओं की मानें तो माहेश्वरी समाज के पूर्वज क्षत्रिय वंश के थे।
एक बार शिकार करने के दौरान ऋषियों ने उन्हें श्राप दे दिया। उस समय भगवान शिव ने उन्हें शाप से मुक्ति कर उनके पूर्वजों की रक्षा की और उन्हें अहिंसा का मार्ग बतलाया। महादेव के नाम पर ही इस समाज का नाम माहेश्वरी का नाम रखा गया। माना जाता है कि भगवान शंकर की अनुमति से ही माहेश्वरी समाज के पूर्वजों ने क्षत्रिय कर्म छोड़कर वैश्य समाज को अपनाया।