Mahashivratri 2024 Mantra: भगवान शिव के 11 अचूक मंत्र, जिनका महाशिवरात्रि में जप करने से होगा कल्याण
By रुस्तम राणा | Published: March 7, 2024 02:38 PM2024-03-07T14:38:58+5:302024-03-07T14:50:25+5:30
Mahashivratri 2024 Shiv Mantra: महाशिवरात्रि का पावन पर्व 8 मार्च, शुक्रवार को मनाया जाएगा। भगवान शिव की पूजा करने के लिए यह दिन विशेष महत्व का होता है। इस दिन शिवभक्त भोलेनाथ की भक्तिभाव में डूबे होते हैं।
Mahashivratri 2024 Mantra: महाशिवरात्रि का दिन शिव भक्ति के लिए महत्वपूर्ण होता है। इस दिन भोलनाथ की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। शिवमंदिरों में भक्तों की तड़के सुबह से ही कतार देखने को मिल जाती है। इस दिन शिव पूजा में भगवान शिव के मंत्रों का जाप बेहद असरदार माने जाते हैं। अतः शिवभक्तों को शिवरात्रि पूजा में भगवान शिव से जुड़े मंत्रों का जाप अवश्य ही करना चाहिए। इन मंत्रों के जाप से वातावरण शिवमय हो जाता है और भक्तिभाव में असीम ऊर्जा देखने को मिलती है। शिवमत्रों के जाप से समस्त प्रकार की व्याधियां दूर होती हैं और कष्टों का नाश होता है। शिवमंत्रों के जाप से भक्तों को बुद्धि, ज्ञान, ऐश्वर्य और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
महाशिवरात्रि में शिव को प्रसन्न करने के 11 शिव मंत्र
1. ॐ नमः शिवाय।।
2. शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय, श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:॥
3. अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्। अकालमृत्यो: परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम्।।
4. ॐ वरुणस्योत्तम्भनमसि वरुणस्य सकम्भ सर्ज्जनीस्थो | वरुणस्य ऋतसदन्यसि वरुणस्य ऋतसदनमसि वरुणस्य ऋतसदनमासीद् ||
5. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्, उर्वारुकमिव बन्धनानत् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
6. ॐ नमः आराधे चात्रिराय च नमः शीघ्रयाय च शीभ्याय च | नमः ऊर्म्याय चावस्वन्याय च नमो नादेयाय च द्वीप्याय च ||
7. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्||
8. जय शम्भो विभो अघोरेश्वर स्वयंभे जय शंकर। जयेश्वर जयेशान जय जय सर्वज्ञ कामदं।।
9. मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय, मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नम: शिवाय:॥
10. शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय, श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:॥
11. मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय, मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नम: शिवाय:॥