उज्जैन: महाकाल बने दूल्हा, अद्भुत रूप के दर्शन से पूरी होती है हर मनोकामना
By बृजेश परमार | Published: March 5, 2019 12:49 PM2019-03-05T12:49:53+5:302019-03-05T12:50:16+5:30
देशभर में शिवरात्रि साल में एक बार आती है लेकिन उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में यह नौ दिनों तक मनाई जाती है। इस दौरान महाकाल का दूल्हे वाला श्रंगार भी किया जाता है। शिव के इस रूप को देख हर श्रद्धालु खुद को धन्य समझता है।
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में महाकाल दूल्हा बने हैं। नंदी को भी बाराती की तरह सजाया गया है। भारत के 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर महाकाल की मंत्रों से गूंज रहा है। शिवरात्रि के पावन पर्व पर तमाम शिवभक्त भक्ति और आस्था की पावन धारा में डुबकी लगा रहे हैं। देशभर में शिवरात्रि साल में एक बार आती है लेकिन उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में यह नौ दिनों तक मनाई जाती है। इन नौ दिनों के दौरान जो भी श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ का आर्शीवाद लेता है खुद को धन्य समझता है। शिवभक्तों के लिए सबसे ज्यादा हर्ष का क्षण होता है बाबा महाकाल की भष्म आरती। मंदिर के पुजारी की मानें तो महाकाल की भष्म आरती वर्ष में केवल एक बार ही होती है जो कि शिवरात्रि के पर्व पर भी संपन्न होती है।
भक्त भगवान शिव की पूजा मनवांछित फल पाने के लिए करते हैं। कहा जाता है कि युवतियां सुयोग्य वर पाने के लिए भोलेनाथ प्रसन्न करती हैं। वहीं, परमाशांति की कामना करने वाले श्रद्धालु भगवान से मुक्ति की कामना करते हैं जिसमें उन्हें अकाल मृत्यु से न गुजरना पड़े। वे सहज मृत्यु की कामना करते हैं।
शिवभक्त भगवान को प्रसन्न करने के लिए महामृत्युजय मंत्र (ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात) का जाप करते हैं। माना जाता है कि यह मंत्र अकाल मृत्यु से बचाता है। महामृत्युजय मंत्र का मतलब होता है, ''हम त्रिनेत्रीय वास्तविकता का चिंतन करते हैं जो जीवन की मधुर परिपूर्णता को पोषित करता है और वृद्धि करता है। ककड़ी की तरह हम इसके तने से अलग 'मुक्त' हों, अमरत्व से नहीं बल्कि मृत्यु से हों।