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महाभारत: दुर्योधन का वह भाई जिससे नहीं लड़ना चाहते थे भीम, फिर भी बीच रणभूमि में किया वध

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 20, 2019 10:35 IST

महाभारत की कथा के अनुसार जब धृतराष्ट्र के दरबार में द्रौपदी का चीरहरण हो रहा था और सभी चुप्पी साधे हुए थे, उस समय विकर्ण ही एक ऐसे शख्स थे जिन्होंने इसका खुलकर विरोध किया और ऐसा होने से रोकने की कोशिश की।

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ठळक मुद्देदुर्योधन और दुशासन के बाद तीसरे कौरव भाई थे विकर्णविकर्ण ही एक ऐसे शख्स थे जिन्होंने द्रौपदी चीरहरण का विरोध किया था

महाभारत में कई ऐसे दिलचस्प किरदार हैं जिनकी कहानी बहुत कम लोग जानते हैं। इसी में एक विकर्ण हैं। धृतराष्ट्र और गांधारी के पुत्र विकर्ण कौरव में सबसे सम्मानित भाइयों में से एक थे और धर्म के ज्ञाता के तौर पर भी जाना जाता है। महाभारत की कथा के अनुसार जब धृतराष्ट्र के दरबार में द्रौपदी का चीरहरण हो रहा था और सभी चुप्पी साधे हुए थे, उस समय विकर्ण ही एक ऐसे शख्स थे जिन्होंने इसका खुलकर विरोध किया और ऐसा होने से रोकने की कोशिश की। यही नहीं विकर्ण ने चौसर के खेल का भी विरोध किया।

महाभारत के युद्ध में जब भीम ने किया विकर्ण का वध

अपने भाई दुर्योधन के कदमों के तमाम विरोध के बावजूद विकर्ण ने महाभारत की लड़ाई में कौरव सेना की ओर से युद्ध किया। कथा के अनुसार युद्ध के 14वें दिन अर्जुन अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार जयद्रथ को मारने पर आमादा थे। अर्जुन ने प्रतिज्ञा ले रखी थी कि अगर सूर्यास्त तक वे जयद्रथ को मारने में नाकाम रहे तो अग्नि समाधी ले लेंगे। कौरव यह बात जानते थे और इसलिए उन्होंने जयद्रथ को दिन भर छिपाने का प्रयास किया। दूसरी ओर अर्जुन की मदद के लिए भीम उनके साथ थे। 

जयद्रथ को खोजने के क्रम में भीम का सामना विकर्ण से हुआ। भीम जानते थे कि विकर्ण अर्धम के खिलाफ रहने वाले व्यक्ति है। उन्होंने विकर्ण से कहा कि वे उनसे युद्ध नहीं लड़ना चाहते हैं। यह सुनकर विकर्ण ने भीम को जवाब दिया कि वे जानते हैं कौरव की पराजय निश्चित है क्योंकि श्रीकृष्ण पांडवों की ओर हैं लेकिन फिर भी युद्ध लड़ना उनका धर्म है। इस पर भीम ने उन्हें चौसर का खेल और द्रौपदी के चीरहरण की बात भी याद दिलाई।

विकर्ण हालांकि अपनी बात पर अड़े रहे। उन्होंने भीम से कहा उस समय जो उनका कर्तव्य था, वह उन्होंने किया और अब जो उनका कर्तव्य है, वह भी वे करने से पीछे नहीं हटेंगे। इसके बाद भीम और विकर्ण में युद्ध हुआ और आखिरकार भीम उन्हें मारने में कामयाब रहे। विकर्ण की तुलना रामायण के कुंभकरण से भी की जाती है। दरअसल, दोनों जानते थे कि सही क्या है लेकिन अपने बड़े भाई के निर्देशों के कारण उन्होंने अर्धम के लिए युद्ध लड़ा।

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