महाभारत के सबसे बड़े खलनायक मामा शकुनि की भी होती है पूजा, इस जगह पर मौजूद है मंदिर
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 26, 2019 11:13 AM2019-09-26T11:13:17+5:302019-09-26T11:13:17+5:30
महाभारत के कई किरदारों के मंदिर भारत में मौजूद हैं। इनमें भीम की पत्नी हिंडिबा से लेकर कर्ण और भीष्म पितामह और द्रौपदी तक के मंदिर हैं। हालांकि, सबसे दिलचस्प तथ्य शकुनि के मंदिर की मौजूदगी है।
भारत में पूजा-पाठ, पूजा पद्धतियों, सहित मंदिरों को लेकर कई ऐसे किस्से-कहानी हैं जो बेहद दिलचस्प हैं। अगर राम की पूजा होती है तो इसी देश में रावण के भी मंदिर हैं। माता दुर्गा की पूजा अगर होती है तो महिषासुर को अपना अराध्य मानने वाले भी लोग मौजूद हैं। सभी की अपनी-अपनी मान्यता है और इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं भी हैं।
महाभारत की ही उदाहरण अगर लें तो यह आम मान्यता है कि शकुनि इस कहानी का सबसे बड़ा खलनायक था। धृतराष्ट्र की पत्नी गांधारी के इस भाई को लेकर मान्यता है कि उसने दुर्योधन के मन में पांडवों के लिए इतना जहर भर दिया कि नौबत युद्ध के विनाश तक आ पहुंची। हालांकि, एक सच इससे इतर भी है और वह ये कि महाभारत के सबसे बड़े खलनायक के तौर पर देखे जाने वाले शकुनि का भी मंदिर भारत में मौजूद है। आईए, आज हम आपको बताते हैं ऐसे ही कुछ मंदिरों के बारे में जिसके बारे में आप जानकर हैरान रह जाएंगे।
केरल में है शकुनि का मंदिर: केरल के कोल्लम जिले के पवितरेश्वरम में शकुनि का एक मौजूद मंदिर है। यह भारत में एक मात्र शकुनि का मंदिर है। दुर्योधन के मामा शकुनि को बुरी चीजों, छल-कपट का जिम्मेदार माना जाता है। हालांकि इस मंदिर में आने वाले लोगों के मुताबिक शकुनि में कुछ सात्विक चीजें भी थीं।
इस मंदिर में शकुनि की कोई प्रतिमा नहीं बल्कि एक बैठने का स्थान है, जिसके बारे में मान्यता है कि शकुनि भगवान शिव की पूजा के लिए इसका इस्तेमाल करता था। इस मंदिर में शकुनि के नाम पर नारियल, सिल्क आदि चढ़ाए जाते हैं। मंदिर में देवी भुवनेश्वरी, भगवान किरातमूर्ति और नागराज की भी पूजा की जाती है। आम तौर पर यहां 'कुरुवर' समाज के लोग शकुनि की पूजा के लिए आते हैं।
दुर्योधन का मंदिर: शकुनि मंदिर के ही करीब केरल के कोल्लम जिले में दुर्योधन का भी एक मंदिर है। कौरव भाईयों में सबसे बड़े दुर्योधन की यहां पूजा की जाती है। यहां चढ़ाए जाने वाली सबसे प्रमुख चीजों में स्थानीय शराब 'ताड़ी' है। इसके अलावा लाल कपड़े, नारियल, पान आदि भी मंदिर में चढ़ाए जाते हैं।
हिडिंबा का मंदिर: भीम की पत्नी और घटोत्कच की मां हिडिंबा एक असुर कन्या थी। उन्हीं के नाम पर हिमाचल प्रदेश के मनाली में हिंडिंबा देवी मंदिर है। इस मंदिर में आज भी अपना खून चढ़ाने की परंपरा है।
यह मंदिर एक गुफा के पास स्थित है जिसके बारे में कहा जाता है कि हिंडिबा यहीं ध्यान और तपस्या करती थी। यहां हर साल ज्येष्ठ मास में मेला भी लगता है। यहां घटोत्कच का भी मंदिर मौजूद है।
कर्ण का मंदिर: यह मंदिर उत्तरकाशी में स्थित है। यही पास में करीब 10 किलोमीटर दूर दुर्योधन का भी एक मंदिर है। वैसे भी महाभारत की कथा में दुर्योधन और कर्ण की दोस्ती के कई किस्से मौजूद हैं। माता कुंती के पुत्र कर्ण ने महाभारत के युद्ध में दुर्योधन की ओर पांडवों के खिलाफ युद्ध किया था। कर्ण के मंदिर के आसपास पांडवों को समर्पित पांच छोटे-छोटे मंदिर भी है।
द्रौपदी का मंदिर: पांडवों की पत्नी द्रौपदी के ऐसे तो दक्षिण भारत में कई मंदिर हैं लेकिन इनमें सबसे खास बेंगलुरू में स्थित धर्मार्या स्वामी मंदिर है। करीब 800 साल पुराने इस मंदिर को बाद में युधिष्ठिर के नाम पर रख दिया गया था लेकिन आज भी यहां द्रौपदी की ही मुख्य पूजा होती है।
दक्षिण भारत में द्रौपदी अम्मा के नाम से एक पंथ भी है जो उन्हें माता काली का अवतार मानता है।
गांधारी का मंदिर: दुर्योधन की माता गांधारी का ये मंदिर कर्नाटक के मौसूर में स्थित है। उन्हें यहां एक अच्छी माता और पत्नी होने के तौर पर पूजा जाता है। वैसे यह मंदिर हाल में बनाया गया है। इसे 2008 में करीब 2.5 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया।
भीष्म पितामह का मंदिर: भीष्म पितामह को समर्पित देश का यह एकमात्र मंदिर है। यह मंदिर उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद और अब बदले हुए नाम प्रयागराज में स्थित है। यह प्रसिद्ध नागवासुकी मंदिर के ही पास दारागंज में ही गंगा नदी के किनारे स्थित है। इस मंदिर में गंगा पुत्र भीष्म को बाणों की शैय्या पर लेटा हुआ दिखाया गया है। यहां भीष्म की मूर्ति करीब 12 फीट लंबी है।