Mahabharat: आज भी जिंदा हैं महाभारत काल के ये 5 लोग! कलियुग के कलकि अवतार संग लड़ेगा तीसरा पात्र-पढ़ें यहां
By मेघना वर्मा | Updated: April 21, 2020 12:11 IST2020-04-21T12:11:50+5:302020-04-21T12:11:50+5:30
शास्त्रों की मानें तो कौरवों और पांडवों के इस युद्ध में 3 कौरवों की तरफ से तो 15 लोग पांडवों की तरफ से आज भी पृथ्वी पर जिंदा हैं।

Mahabharat: आज भी जिंदा हैं महाभारत काल के ये 5 लोग! कलियुग के कलकि अवतार संग लड़ेगा तीसरा पात्र-पढ़ें यहां
महाभारत को हिन्दू धर्म का सबसे प्राचीन ग्रंथ माना जाता है। पांडवों और कौरवों की इस लड़ाई में बहुत सारी सीख मिलती है। साथ ही गीता के उपदेश हमें जीवन जीने का सलीका बताते हैं। महाभारत के कई पात्र ऐसे हैं कई वीर योद्धा ऐसे थे जिन्होंने इस युद्ध में अपने प्राण गवां दिए। वहीं कुछ योद्धा ऐसे भी हैं जिन्हें माना जाता है कि वो अभी भी जिंदा हैं।
शास्त्रों की मानें तो कौरवों और पांडवों के इस युद्ध में 3 कौरवों की तरफ से तो 15 लोग पांडवों की तरफ से आज भी पृथ्वी पर जिंदा हैं। आइए आपको बताते हैं महाभारत के उन पात्रों के बारे में जिनके बारे में मान्यता है कि वे अभी भी जीवित हैं।
1. महर्षि वेद व्यास
माना जाता है कि महर्षि वेद व्यास आज भी पृथ्वी पर जीवित हैं। ये मत्सय कन्या सत्यवती के पुत्र थे। इन्होंने ही वेदों के भाग किये थे। जिस कारण से इन्हें वेद व्यास के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि वेद व्यास कलिकाल के अंत तक जीवित रहेंगे।
2. महर्षि परशुराम
मर्हषि परशुराम को भगवान राम का अवतार माना जाता है। भगवान परशुराम को रामायण काल के पहले से ही जीवित माना जाता है। माना जात है कि प्रभु परशुराम चिरंजीवी है। इनकी कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें कल्प के अंत तक तपस्यारत भूलोक पर रहने का वर दिया था।
3. अश्वात्थामा
ये पांडवों और कौरवों के गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र थे। माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने इनकी तीसरी आंख नष्ट करके इन्हें 3 हजार साल तक सशरीर भटकने का श्राप दिया था। माना जाता है कि कलयुग के अंत में जब कल्कि अवतार होगा तो ये उनके साथ मिलकर धर्म के खिलाफ लड़ेगा।
4. ऋषि मार्कण्डेय
ऋष मार्कण्डेय को भगवान भोले का बड़ा भक्त माना जाता है। शिव जी के महामृत्युंजय मंत्र का जाप करके चिरंजीवी होने का आशीर्वाद लिया। कहा जाता है कि मार्कण्डेय ऋषि वनवास के दौरान युधिष्ठिर को रामायण सुनाकर धैर्य रखने की सलाह देते हैं।
5. महर्षि दुर्वासा
दुर्वासा ऋषि अपने तेज क्रोध के लिए जाने जाते थे। इनके प्रसन्न करना बेहद कठिन वाला था। महाभारत काल में कुंति ने इन्हें अपनी तपस्या से प्रसन्न किया था। माना जाता है कि महर्षि दुर्वासा को भा चिरंजीवी होने का वरदान प्राप्त है।


