12 साल में एक बार इस शिव मंदिर पर गिरती है बिजली, स्वयं भगवान शिव देते हैं इसका आदेश

By मेघना वर्मा | Published: June 26, 2018 03:37 PM2018-06-26T15:37:42+5:302018-06-26T15:37:42+5:30

बड़े जतन के साथ भगवान शिव ने कुलन्त राक्षस को अपने भरोसे में लिया और कहा कि उसकी पूंछ में आग लग गई है।

lord shiva temple bijli mahadev in kullu | 12 साल में एक बार इस शिव मंदिर पर गिरती है बिजली, स्वयं भगवान शिव देते हैं इसका आदेश

12 साल में एक बार इस शिव मंदिर पर गिरती है बिजली, स्वयं भगवान शिव देते हैं इसका आदेश

पूरे भारत देश में भगवान भोले के भक्तों की भरमार है। जहां देखो वहां भक्त भगवान शिव की जय जयकार करते दिखाई देते हैं। शायद यही कारण है कि देश में सबसे ज्यादा भगवान भोले के मंदिर हैं। 12 ज्योतिलिंग के अलावा भी ऐसे कई मंदिर हैं जिनके दर्शन के लिए भक्तों को तांता लगा रहता है। इन मंदिरों में कुछ ऐसी भी शामिल हैं जो अपने चमत्कार के लिए जानी जाती हैं। उन्हीं में से एक है हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में स्थित बिजली महादेव। इस मंदिर की मान्यता यह है कि यहां हर 12 साल में एक बार शिवलिंग पर बिजली गिरती है। जी हां हम आपको आज इसी अजीबो-गरीब मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिससे जुड़ा है कुल्लू का पूरा इतिहास। 

हर साल खंडित होती है शिवलिंग

कुल्लू घाटी को लेकर ऐसी मान्यता है कि इसका आकार एक विशाल सांप के आकार का है। आज से सदियों साल पहले इस सांप का वध भगवान शिव ने किया था। आज भी हर 12 साल यहां बने शिव मंदिर के शिवलिंग पर बिजली गिरती है। बिजली गिरने से यहां कि शिवलिंग हर 12 साल बाद खंडित भी हो जाती है जिसके टुकड़े उठाकर यहां के पंडित मक्खन से जोड़ते हैं। यहां तक तो फिर भी ठीक है चमत्कार तब होता है जब कुछ दिन या कुछ सालों बाद यह शिवलिंग अपने आप ही जुड़ जाता है। 

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ऐसे पड़ा था कुल्लू नाम

माना जाता है कि बहुत साल पहले कुलान्त नाम का एक दैत्य हुआ करता था जिसने कुल्लू के पास अजगर का रूप धारण कर के कुण्डली मार कर ब्यास नदी के प्रवाह को रोककर कुंडली मार कर बैठ गया। इसके चलते सभी जीव-जंतु पानी में डूब कर मर जाते। जब इस बात की खबर भगवान शिव को लगी तो वह काफी चिंतित हो गए। 

छल से मारा कुलन्त को

बड़े जतन के साथ भगवान शिव ने कुलन्त राक्षस को अपने भरोसे में लिया और कहा कि उसकी पूंछ में आग लग गई है। फिर जैसे ही कुलन्त पीछे घूमा भगवान शिव ने उनके सिर पर वार किया और उसे मार दिया। कुलन्त का शरीर धरती के जितने हिस्से में रखा रहा उतना हिस्सा पर्वत क्षेत्र में बदल गया। कुल्लू घाटी का बिजली महादेव से रोहतांग दर्रा और मंडी के घोग्घरधार तक की घाटी कुलान्त के शरीर से निर्मित मानी जाती है। कुलान्त सेही कुलूत और इसके बाद इस इलाके का नाम कुल्लू पड़ गया। 

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शिव के कहने पर इंद्र गिराते हैं बिजलियां

बिजली शिवलिंग पर गिरने के बारे में कहा जाता है कि भगवान शिव नहीं चाहते चाहते थे कि जब बिजली गिरे तो जन धन को इससे नुकसान पहुंचे। भोलेनाथ लोगों को बचाने के लिए इस बिजली को अपने ऊपर गिरवाते हैं। इसी वजह से भगवान शिव को यहां बिजली महादेव कहा जाता है। कुलान्त दैत्य के मारने के बाद शिव ने इंद्र से कहा कि वे बारह साल में एक बार इस जगह पर बिजली गिराया करें। हर बारहवें साल में यहां आकाशीय बिजली गिरती है।

हर साल शिवरात्री पर लगता है मेला

भोले बाबा के भक्तों का हर साल यहां जमावड़ा लगता है। भादों के महीने में हर साल यहां बड़े पैमाने का मेला लगता है। कुल्लू शहर से बिजली महादेव की पहाड़ी लगभग सात किलोमीटर है। शिवरात्रि पर भी यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है।

Web Title: lord shiva temple bijli mahadev in kullu

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