हर 41 साल में श्रीलंका के इस जंगल में आकर हनुमान देते हैं दर्शन, हैरान करने वाले हैं दावे
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 6, 2019 12:11 PM2019-09-06T12:11:44+5:302019-09-06T12:11:44+5:30
मान्यता है कि श्री राम के स्वर्ग सिधारने के बाद हनुमान अयोध्या से दक्षिण भारत के जंगलों में लौट गये थे। इसके बाद कुछ समय के लिए वह श्रीलंका चले गये
भगवान हनुमान को चिरंजीवी भी कहा गया है। इसका मतलब ये हुआ कि वे अमर हैं और कलयुग के अंत होने तक धरती पर निवास करेंगे। मान्यता है कि हनुमान आज भी दक्षिण भारत के गंधमादन पहाड़ पर निवास करते हैं और जहां भी रामकथा कहा जाता है, वे वहां अदृश्य रूप से मौजूद रहते हैं। यही कारण है कि जहां भी रामकथा सुनाई जाती है, वहां एक जगह खाली छोड़ी जाती है। वैसे, एक ऐसा स्थान जरूर है जिसके बारे में कहा जाता है यहां हर 41 साल में हनुमान आकर स्थानीय लोगों को दर्शन देते हैं।
श्रीलंका के इन कबीलाई लोगों से मिलते हैं हनुमान
श्रीलंका के पिडरु पहाड़ के पास जंगलों में रहने वाले 'मतंग' कबीलाई लोगों के बारे में कहा जाता है कि उन्हें हर 41 साल में भगवान हनुमान दर्शन देने आते हैं। मान्यता है कि इस कबीले का इतिहास रामाणय काल से जुड़ा है।
कहते हैं कि श्री राम के स्वर्ग सिधारने के बाद हनुमान अयोध्या से दक्षिण भारत के जंगलों में लौट गये थे। इसके बाद वह श्रीलंका गये जहां इस कबीले के लोगों ने उनकी खूब सेवा की। हनुमान जी ने इन्हें ब्रह्मज्ञान का बोध कराया और कहा कि वे ऐसे ही हर 41 साल में इस कबीले की आने वाली पीढ़ियों को ब्रह्मज्ञान देते आते रहेंगे।
विभीषण का वंश है ये कबीला
'मतंग' कबीलाई लोगों का दावा है कि वे विभीषण के आखिरी वंशज हैं। कुछ सालों पहले इस बारे में श्रीलंका के एक संगठन 'सेतु' ने भी दावा किया था कि वह इन लोगों पर रिसर्च कर रहे हैं और उनके उस 'लॉगबुक' का विश्लेषण कर रहे हैं जो उनकी भाषाओं, परंपरिक रिवाजों आदि के बारे में काफी कुछ बताता है। इस कबीले के पास एक 'हनुमंडल' नाम का एक खास स्थान भी है जहां हनुमान के आने पर उनकी 'चरण पूजा' की जाती है।
ये जो तस्वीर आप देख रहे हैं उसके बारे में भी दावा किया गया था कि इसे 2014 में उस समय एक साधक द्वारा लिया गया था जब हनुमान आखिरी बार इस कबीले के लोगों से मिलने आये थे। दावे के अनुसार तस्वीर 'हनुमंडल' पर विराजे हनुमान की है। हालांकि, तस्वीर साफ नहीं है और इसकी कोई भी ठोस पुष्टि भी नहीं है।
सेतु डॉट ओआरजी वेबसाइट के अनुसार 27 मई 2014 को हनुमानजी ने मतंग कबीले के साथ आखिरी दिन बिताया था। इसके बाद अब वे 2055 में फिर से इस कबीले के लोगों से मिलने आएंगे।