नवरात्र का महीना हिन्दू धर्म में बेहद शुभ माना जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों में लोग देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं। देवी दुर्गा की पूजन के बाद दुर्गाष्टमी या नवमी पर छोटी कन्याओं का पूजन किया जाता है और उन्हें भोग लगाया जाता है।
नवरात्रों में इस कन्या पूजन का सबसे ज्यादा महत्व होता है। पूजन तब तक पूर्ण नहीं माना जाता जब तक उपासक देवी स्वरूप छोटी कन्याओं को भोजन नहीं कराते। माना जाता है कि मां दुर्गा होम और दान से उतनी प्रसन्न नहीं होती जितनी कन्याओं की सेवा से प्रसन्न होती हैं।
नवरात्रि के नौ दिन लोग व्रत करें ना करें मगर कन्याओं को पूजन सभी करते हैं। कन्या पूजन का भी अपना अलग विधान है। जो भक्त मां के नौ दिन का व्रत करते हैं वो नवमी के दिन कन्या पूजन के बाद भी व्रत का पारण करते हैं। वैसे शास्त्रों के अनुसार अष्टमी का दिन कन्याओं के पूजन के लिए सबसे शुभ बताया जाता है।
कन्या पूजन के लिए शुभ मुहूर्त
कन्या पूजन के लिए शुभ मुहूर्त एक अप्रैल को सुबह अमृतकाल में 9 बजकर 10.50 तक रहेगा। वहीं राम नवमी वाले दिन यानी दो अप्रैल को सुबह 9 बजे से 11 बजे तक रहेगा। मान्यता ये भी है कि कन्या पूजन से हर तरह के विघ्न और वास्तु दोष का नाश होता है। जो भक्त कन्या पूजन करते हैं उनकी हर मनोकामना पूरी हो जाती है।
इस साल चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथी एक अप्रैल को पड़ रही है। वहीं नवमी तिथि दो अप्रैल को है। इन्हीं दोनों दिनों में भक्तों को कन्याओं का पूजन करना चाहिए। कन्या पूजन करने के लिए भी कुछ विशेष सामग्री की जरूरत होती है।
इन सामग्रियों को कन्या पूजन से पहले कर लें एकत्र
1. साफ जल (जिसेस कन्याओं का पैर धुलाना है।)2. साफ कपड़ा (जिससे कन्याओं का पैर पोंछना है।)3. रोली (कन्याओं के माथे पर टीका काढ़ने के लिए)4. कलावा (हाथ में बांधने के लिए)5. चावल (अक्षत)6. फूल (आरती के बाद कन्याओं पर चढ़ाने के लिए)7. चुन्नी (कन्याओं को उढ़ाने के लिए)8. फल (कन्याओं को देने के लिए)9. मिठाई (कन्याओं के भोग के लिए)10. भोजन सामग्री
ऐसे करें कन्या पूजन
1. अष्टमी या नवमी के दिन स्नानआदि करके भगवान गणेश और महागौरी की पूजा करें।2. कन्या पूजन के लिए दो साल से 10 साल तक की कन्याओं को और एक बालक को आमंत्रित करें।3. जब कन्याएं घर में आएं तो उनके आते ही जयकारा लगाना चाहिए।4. इसके बाद सभी कन्याओं का पैर खुद अपने हाथों से धुलें और उन्हें पोछें।5. उनके माथे पर कुमकुम और अक्षत का टीका लगाएं।