Jyeshtha Purnima 2025: ज्येष्ठ पूर्णिमा कब है? जानिए पूजा विधि, स्नान-दान और चंद्रोदय समय
By रुस्तम राणा | Updated: June 6, 2025 15:22 IST2025-06-06T15:22:13+5:302025-06-06T15:22:13+5:30
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान से पहले व्रत का संकल्प लें। इस दिन सुबह जल्दी स्नान कर भगवान विष्णु का व्रत रखना चाहिए। सत्यनारायण कथा का पाठ करना चाहिए। रात में चंद्रमा को दूध और शहद मिलाकर अर्घ्य देना चाहिए। इससे भक्तों के सभी रोग और कष्ट दूर हो जाते हैं।

Jyeshtha Purnima 2025: ज्येष्ठ पूर्णिमा कब है? जानिए पूजा विधि, स्नान-दान और चंद्रोदय समय
Jyeshtha Purnima 2025 Date: हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि को ज्येष्ठ पूर्णिमा कहा जाता है। हिन्दू धर्म में ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र और दांपत्य जीवन में खुशहाली के लिए वट पूर्णिमा का व्रत रखती हैं। इस दिन जगन्नाथ यात्रा, संत कबीर जयंती, श्री अमरनाथ पूजा, गुरु गोरखनाथ जयंती भी होती है।
कब है ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025
द्रिक पंचांग के अनुसार, 10 जून को पूर्णिमा तिथि प्रातः 11:35 मिनट पर शुरू होगी, जो 11 जून दोपहर 01:13 मिनट तक रहेगी। उदयातिथि के अनुसार 11 जून को पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा।
ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि पर चंद्रोदय का समय
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - जून 10, 2025 को 11:35 ए एम बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त - जून 11, 2025 को 01:13 पी एम बजे
पूर्णिमा के दिन चन्द्रोदय - 07:41 पी एम
ज्येष्ठ पूर्णिमा पूजन विधि
पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान से पहले व्रत का संकल्प लें। इस दिन सुबह जल्दी स्नान कर भगवान विष्णु का व्रत रखना चाहिए। सत्यनारायण कथा का पाठ करना चाहिए। रात में चंद्रमा को दूध और शहद मिलाकर अर्घ्य देना चाहिए। इससे भक्तों के सभी रोग और कष्ट दूर हो जाते हैं। इससे श्रद्धालुओं की सभी मनोकामना पूरी होती है और उन्हें जीवन में किसी चीज की कमी नहीं रहती है। अंत में ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देना चाहिए।
वट पूर्णिमा व्रत विधि
वट सावित्री व्रत की भाँति ही पूर्णिमा के दिन भी स्त्रियाँ उत्तम सौभाग्य एवं कुल की वृद्धि हेतु व्रत एवं उपवास कर सकती हैं। सौभाग्यशाली स्त्रियों को व्रत का सङ्कल्प लेकर सम्पूर्ण शृङ्गार करके वट वृक्ष का पूजन करना चाहिए तथा वट की जड़ पर पुष्प एवं मीठा जल अर्पित करके वटवृक्ष की परिक्रमा करते हुए कच्चा सूत बाँधना चाहिए। तत्पश्चात् अपने घर के वृद्धजनों का आशीर्वाद ग्रहण करना चाहिए। पूजनोपरान्त शृङ्गार का सामान किसी वृद्ध सुहागन स्त्री को दे देना चाहिए। ऐसे लोग जो सामान्य पूर्णिमा का व्रत करते हैं, वे भी वट वृक्ष के नीचे भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी का पूजन तथा मन्त्र जाप कर सकते हैं।
ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत का महत्व
शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ पूर्णिमा पर भगवान विष्णु को समर्पित करते हुए व्रत एवं पूजन करने का विधान है। पूर्णिमा के व्रत में पवित्र नदी में स्नान और दान का काफी महत्व होता है परन्तु यदि किसी कारण से पवित्र नदी में जा कर स्नान करना संभव न हो, तो नहाने के पानी में गंगा जल मिलाकर नहाने से भी गंगा स्नान का पुण्य मिलता है। ज्येष्ठ पूर्णिमा का स्थान सात विशेष पूर्णिमा में आता है। इस दिन भगवान विष्णु का व्रत करने से सभी कष्ट एवं संकट समाप्त होते हैं तथा सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।