Jivitputrika Vrat 2019: जिउतिया कब है? पुत्र की लंबी आयु के लिए किया जाता है ये व्रत

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 11, 2019 02:41 PM2019-09-11T14:41:11+5:302019-09-11T14:41:11+5:30

Jivitputrika Vrat: जिउतिया व्रत (जितिया) व्रत महिलाएं अपने पुत्र की लंबी उम्र की कामना के लिए करती हैं। इस दिन महिलाएं पूरे दिन और रात के लिए निर्जला उपवास रखती हैं।

Jivitputrika Vrat 2019: jitiya vrat date, puja vidhi and significance | Jivitputrika Vrat 2019: जिउतिया कब है? पुत्र की लंबी आयु के लिए किया जाता है ये व्रत

जिउतिया व्रत इस बार 22 सितंबर को (फाइल फोटो)

Highlightsअश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जिउतिया व्रत इसे जीवित्पुत्रिका या जितिया व्रत भी कहा जाता है

Jivitputrika Vrat 2019: पुत्र की लंबी आयु के लिए किया जाने वाला जिउतिया व्रत इस बार 22 सितंबर (रविवार) को पड़ रहा है। इसे जीवित्पुत्रिका व्रत या जितिया भी कहा जाता है। महिलाएं इस मौके पर पूरे दिन और रात के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और अपने पुत्र की लंबी और स्वस्थ्य जीवन के लिए कामना करती हैं। जीवित्पुत्रिका व्रत हर साल अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है। हालांकि, इस व्रत की शुरुआत सप्तमी से नहाय-खाय के साथ हो जाती है और नवमी को पारण के साथ इसका समापन होता है।

Jivitputrika Vrat 2019: जिउतिया व्रत (जितिया) इस बार 22 सितंबर को

जीवित्पुत्रिका व्रत की शुरुआत महिलाएं 21 सितंबर को नहाय-खाय के साथ होगी। इसके बाद 22 सितंबर को महिलाएं निर्जला उपवास करेंगी और अगले दिन पारण के साथ उपवास खत्म करेंगी। यह व्रत बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली जैसी जगहों पर खूब तैयारियों के साथ किया जाता है। व्रत के दौरान महिलाएं एक बूंद पानी तक नहीं पीती हैं। इस साल के पंचांग को देखें तो अष्टमी तिथि की शुरुआत रात 8.21 बजे से शुरू होगी।

इस व्रत का महाभारत काल से भी जुड़ाव है। कथा के अनुसार जब अश्वथामा ने पांडवों के सोते हुए सभी बेटों और अभिमन्यु के अजन्मे बेटे को मार दिया था, उस समय श्रीकृष्ण ने अर्जुन के पोते को गर्भ में ही जीवित कर दिया। इसी वजह से अर्जुन के इस पोते का नाम जीवित्‍पुत्रिका पड़ा और मान्यता के अनुसार यही कारण है कि माताएं अपने बेटे की लंबी उम्र के लिए यह व्रत करती हैं।

Jivitputrika Vrat 2019: जिउतिया व्रत की विधि

जीवित्पुत्रिका व्रत के लिए उपवास शुरू करने से पहले सुबह ही कुछ खाया-पिया जा सकता है। सूर्योदय होने से पहले महिलाएं पानी वगैरह ग्रहण करती हैं लेकिन इसके बाद कुछ भी खाने या पीने की मनाही रहती है। खास बात ये भी है कि इस व्रत से पहले केवल मीठा भोजन ही किया जाता है। इसके बाद तड़के गंगा स्नान और पूजन का महत्व है। व्रत का पारण अगले दिन प्रातःकाल किया जाता है। पारंपरिक तौर पर बिहार-यूपी आदि जगहों पर दाल-भात, झिंगली, साग आदि खाकर व्रत का पारण किया जाता है।

Web Title: Jivitputrika Vrat 2019: jitiya vrat date, puja vidhi and significance

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