कर्जदारों के साथ अक्सर ऐसा होता है कि वे एक तरफ से कर्ज भरते जाते है तो दूसरी तरफ से उनपर कर्ज लदता चला जाता है और उन्हें कर्ज से उबरने में काफी लम्बा वक्त लग जाता है। ऐसे में उन्हें कर्ज से मुक्ति नहीं मिल पाती है। अगर आप कर्ज से मुक्ति पाना चाहते हैं तो आपको प्रदोष व्रत रखना चाहिए जो भगवान शिव को समर्पित है। प्रदोष व्रत हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार चंद्र मास के 13वें दिन यानी तेरस पर रखा जाता है। माना जाता है कि प्रदोष व्रत रखने से लम्बे समय के कर्ज से मुक्ति मिलती है।
क्या है प्रदोष व्रत?शास्त्रों में कहा गया है कि प्रदोष व्रत रखने से दो गायों को दान देने के समान पुण्य मिलता है। प्रदोष व्रत में भगवान की कृपा बनी रहती है। प्रदोष व्रत महीने में दो बार कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में पड़ता है। प्रदोष व्रत दक्षिण भारत में प्रदोषम के रूप में जाना जाता है। प्रदोष व्रत के दौरान आप भगवान शिव का मंत्रोच्चारण 'ऊं नम: शिवाय' का जाप करें।
हिंदू कैलेंडर के मुताबिक अगर प्रदोष व्रत सोमवार को पड़ता है तो इसे 'प्रदोषम' कहते हैं। अगर मंगलवार को पड़ता है तो 'भौम प्रदोषम' और शनिवार को पड़ता है तो 'शनि प्रदोषम' कहा जाता है। प्रदोष व्रत के दिन निराहार रहकर शाम में स्नान करने के बाद भगवान शिव के मंदिर जाकर पूजा की जाती है। माना जाता है कि प्रदोष व्रत को करने से हर प्रकार का दोष मिट जाता है।
नौ साल से प्रदोष व्रत रखने वाली इलाहाबाद की माला वर्मा ने बताती है कि वह भगवान शिव की आराधना और मन की शांति के लिए प्रदोष व्रत रखती हैं। शाम में भगवान शिव के मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना के बाद वह शिव की कथाएं कहती है। उसके बाद अन्न ग्रहण करती हैं। उनका मानना है कि इस व्रत से मोक्ष, धन, यश और परिवार का कल्याण और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
नौ सामाग्री से सम्पन्न होती है शिव की आराधना- प्रदोष व्रत में भगवान शिव के मंदिर में नौ समाग्रियों को चढ़ाने का विधान है। इसमें सफेद जनेऊ, बेलपत्र, सफेद बर्फी, सफेद फूल, रुद्राक्ष, कच्चा दूध, फल, अगरबत्ती, शहद जैसे चीजें शामिल हैं। प्रदोष व्रत के दौरान शिव के मंदिर में शाम में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। लोग बड़े ही श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान शिव की आराधना करते हैं।