होलिका दहन 2019: पूजा में इतनी बार करें परिक्रमा, अग्नि में डालें ये चीजें, दान करें ये 7 वस्तुएं

By गुलनीत कौर | Published: March 19, 2019 10:35 AM2019-03-19T10:35:30+5:302019-03-19T10:35:30+5:30

होलिका दहन की पूजा में पेड़ से लकड़ियों को काटकर नहीं लाया जाता, बल्कि नीचे गिरी लकड़ियों को एकत्रित करके उन्हें उपयोग में लाया जाता है। पूरे विधि विधान से पूजा करने के बाद अंत में होलिका की परिक्रमा करना भी शुभ माना जाता है।

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होलिका दहन 2019: पूजा में इतनी बार करें परिक्रमा, अग्नि में डालें ये चीजें, दान करें ये 7 वस्तुएं

रंगों का पर्व होली धर्म ग्रंथों में बुराई पर अच्छाई की जीत के महत्व से जाना जाता है। बुरे समय को मात देकर अच्छाई को प्राप्त करने की खुशी में ही रंग, गुलाल से होली का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। होली 2019 की तारीख इस प्रकार है - 20 मार्च की रात होलिका दहन किया जाएगा और उसके बाद अगली सुबह 21 मार्च को रंगों से होली खेली जाएगी। 

होलिका दहन 2019 तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त (Holika Dahan 2019 time, puja time)

20 मार्च की सुबह 10:45 पर अशुभ काल भद्रा प्रारंभ हो जाएगा जो कि रात 8:59 तक रहेगा। होलिका दहन के दौरान भद्रा काल का अत्यंत ध्यान दिया जाता है। भद्रा काल समाप्त होने के बाद ही होलिका दहन किया जाता है। इसलिए रात 9 बजे के बाद ही होलिका दहन किया जाएगा। आइए आगे जानें होलिका दहन से जुड़ी कथा।

होलिका दहन पौराणिक कथा (Mythological story of Holika Dahan)

धर्म ग्रंथों में होलिका दहन के संबंध में एक कहानी प्रचलित है। इस कहानी के अनुसार हिरण्यकश्यप नामक एक राजा था। राजा बहुत बड़ा नास्तिक था। किन्तु उसका पुत्र प्रहलाद उसके ठीक विपरीत आस्तिक एवं भगवान विष्णु का परम भक्त था। हिरण्यकश्यप को अपने बल और शक्ति पर घमंड था। वह खुद को अपनी प्रजा का भगवान मानता था। 

राजा ने बहुत कोशिश की कि प्रहलाद भगवान विष्णु की भक्ति छोड़ दे, किन्तु उसकी हर कोशिश असफल रही। आखिरकार उसने फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को पुत्र प्रहलाद को बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया। उसने सोचा कि शायद भय से प्रहलाद विष्णु की भक्ति छोड़ देगा। मगर लगातार आठ दिन कारागार में रहने के बावजूद भी प्रहलाद की निष्ठा को कोई ठेस नहीं पहुंची।

इन आठ दिनों में उसने बिना रुके विष्णु उपासना की। आठवें दिन जब राजा के सब्र का बाँध टूटा तो उसने प्रहलाद को जान से मारने का विचार बनाया। उसके बहन होलिका की मदद ली। होलिका, जिसे यह वरदान प्राप्त था कि अग्नि में बैठने के बावजूद भी वह जलेगी नहीं, राजा ने इसी वरदान का उपयोग करना चाहा। होलिका की गोद में प्रहलाद को बिठाया गया। किन्तु भगवान विष्णु का चमत्कार तो देखें, होलिका जल गई, मगर प्रहलाद बच गया।

तब से आजतक यह कहानी इस बात का प्रतीक है कि भगवान की भक्ति के आगे कोई बड़ी ताकत नहीं होती। और हमेशा बुराई पर अच्छाई की जीत ही होती है। भक्त प्रहलाद को कुल आठ दिनों के लिए कारागार में डाला गया था। आज भी ये आठ दिन अशुभ माने जाते हैं, जिसे 'होलाष्टक' के नाम से जाना जाता है। इन आठ दिनों में कोई भी शुभ एवं मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। इस वर्ष होलाष्टक 14 मार्च से प्रारंभ होकर 20 मार्च तक हैं।

होलिका दहन पूजा विधि (Holika Dahan Puja Vidhi)

- सबसे पहले कुछ लकड़ियां एकत्रित करें। इसके लिए पेड़ से लकड़ियां ना काटें। होलिका दहन पूजा में नीचे गिरी हुई लकड़ियों का इस्तेमाल करने का ही प्रावधान है
- अब लकड़ियों को सीधा खड़ा कर लें। इसके आसपास गोबर के ढेर सारे उपले, घास-फूस आदि जमा कर दें
- अब सबसे पहले भगवान गणेश और माता गौरी का ध्यान करते हुए पूजा आरंभ करें
- लकड़ियों पर रोली और कच्चा सूत लपेटें। ऐसा करते हुए एक एक करेक 'ॐ होलिकायै नमः', 'ॐ प्रह्लादय नमः', 'ॐ नृसिंहाय नमः' का निरंतर जाप करें
- अब अपने मन की इच्छा का ध्यान करें और साथ ही पूजा में हुई किसी भी गलती के लिए क्षमा मांगें। होलिका की तीन बार परिक्रमा भी करें
- इसके बाद तांबे के लोटे में स्वच्छ जल लेकर 'ॐ ब्रह्मार्पणमस्तु' कहते हुए होलिका को जल अर्पित करें। ध्यान रहे यह जल अग्नि के बीच नहीं बल्कि आसपास परिक्रमा करते हुए डालना है

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होलिका पूजन में ध्यान रखें ये बातें (Holika Puja Do's, Dont's)

- होलिका पूजन करते समय सिर ढंक कर रखें
- होलिका दहन की सुबह सूर्य को अर्घ्य दें
- पूजन के दौरान चीनी के जल से चन्द्रमा को अर्क दें
- बच्चे जिनमें एकाग्रता की कमी हो वे होलिका परिक्रमा करें
- शादीशुदा जीवन को अच्छा बनाने के लिए पति-पत्नी साथ में होलिका परिक्रमा करें
- परिक्रमा से पूर्व और बाद में होलिका को प्रणाम करें
- पूजन के बाद गरीबों में गुझिया, ऊनी वस्त्र, दान की चीजें दें

होलिका पूजन की भस्म का महत्व

होलिका पूरी जलने के बाद जब भस्म बाख जाए तो उसे डिब्बी में भरकर अपने घर में रखें। मान्यता है कि यह पवित्र भस्म बेहद शक्तिशाली होती है। इसका उपयोग व्यक्ति को प्रेतबाधा, बुरी नजर, टोन-टोटके आदि से बचाता है। यह भस्म सभी दुनियावी बुरी शक्तियों से घर-परिवार की रक्षा करती है।

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