सनातन परंपरा में कुंभ का महत्व बेहद विशेष है। ऐसी मान्यता है कि कुंभ स्नान का सौभाग्य हर किसी को अपने जीवन में जरूर हासिल करना चाहिए। कहते हैं कुंभ स्नान या दर्शन से एक साथ कई पुण्य मिलते हैं और देवी-देवताओं का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
कुंभ मेला दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में भी शामिल है। हर 12 साल में हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में इसका आयोजन किया जाता है। इस साल कुंभ मेले की शुरुआत 14 जनवरी यानी मकर संक्रांति से हरिद्वार में हो चुकी है।
अगर आप भी इस कुंभ का हिस्सा बनना चाहते हैं तो ये तीन अहम नियम जरूर जान लीजिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन नियमों का पालन करना जरूरी है। ऐसा नहीं करने पर कुंभ स्नान का फल नहीं मिलता है।
Haridwar Kumbh Mela 2021: कुंभ स्नान से जुड़े नियम
1. कुंभ स्नान से जुड़ा एक बेहद विशेष नियम है। इसका पालन जरूर किया जाना चाहिए। दरअसल यदि आप कुंभ स्नान में हिस्सा ले रहे हैं तो स्नान से पहले नदी को प्रणाम करें और फिर पांव अंदर रखें। इसके बाद पुष्प और अपनी इच्छाशक्ति के अनुसार मुद्रा डालकर स्नान करे। स्नान के बाद किसी पुरोहित को वस्त्र आदि जरूर जान करना चाहिए।
2. कुंभ स्नान को लेकर एक खास बात का ध्यान रखना जरूरी है। कुंभ के लिए जाएं तो कुछ न कुछ त्याग जरूर कर आएं। इसमें बुरी आदतों का त्याग अहम है। इसके मायने ये हुए कि अगर आपमें कोई बुरी आदत है या कोई ऐसी बात है जिससे परिवार और दूसरों को दुख पहुंचता है तो उस आदत को छोड़ने का प्रण करें। कई लोग केशों का भी त्याग यानी मुंडन कराते हैं।
3. कुंभ स्नान या फिर किसी भी पवित्र नदी में स्नान के लिए जाएं तो साफ-सफाई और पवित्रता का ध्यान रखें। कोई ऐसा काम नहीं करें जिससे नदी का अपमान हो। इसलिए कभी भी नदी के समीप शौच, कुल्ला आदि नहीं करना चाहिए। रतिक्रिया, कंघी करके बाल डालना या कपड़े वगैरह धोने से भी बचना चाहिए। इससे स्नान का फल नहीं मिलता और साथ ही मान्यता है कि कई जन्मों तक पाप भुगतना पड़ता है।