इस्लाम में क्या है हज का महत्व, जानें इससे जुड़ी 9 अहम बातें

By गुलनीत कौर | Published: January 17, 2018 12:56 PM2018-01-17T12:56:38+5:302018-01-17T15:19:33+5:30

दुनिया भर के मुसलमान हज करने के लिए सऊदी अरब स्थित मक्का-मदीना जाते हैं।

Hajj Yatra subsidy: About Hajj and Makka Madina Yatra history and 9 important facts | इस्लाम में क्या है हज का महत्व, जानें इससे जुड़ी 9 अहम बातें

इस्लाम में क्या है हज का महत्व, जानें इससे जुड़ी 9 अहम बातें

मुसलमानों के लिए बेहद पवित्र मानी जाने वाली 'हज यात्रा' पर मिल रही सब्सिडी पर भारतीय सरकार द्वारा रोक लगा दी गई है। जिसके बाद से ही यह यात्रा देश-विदेश में चर्चा का मुद्दा बनी हुई है। नरेंद्र मोदी सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने इस कटौती की घोषणा करते हुए कहा कि इस राशि से अब  मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा के लिए पैसा देने का वादा किया है। 

इसपर मुस्लिम और गैर-मुस्लिम सभी गुटों की अलग-अलग राय आई है। कई मुस्लिम गुटों ने इसका विरोध किया तो कई इसके पक्ष में भी दिखाई दिए। दरअसल हज यात्रा मुस्लिमों के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है और इसके संबंध में किया गया कैसा भी बदलाव उनकी भावनाओं से जुड़ा होता है। लेकिन क्या कभी आपने जाना है कि यह यात्रा प्रति वर्ष क्यों की जाती है? इस यात्रा में ऐसा क्या खास होता है? इसका धार्मिक महत्व क्या है?

आइए हज यात्रा के बारे में विस्तार से जानते हैं -

हर साल भारत समेत अन्य कई देशों से मुस्लिम यात्री सऊदी अरब की धरती पर अपने पवित्र धार्मिक स्थल मक्का-मदीना में हज करना जाता है। इस्लाम के पांच आधार हैं जिन पर सभी मुसलमानों को अमल करना चाहिए। ये पाँच आधार हैं- 'शहादा, सलात या नमाज़, सौम या रोज़ा, ज़कात और हज। हालांकि हज करना हर मुसलमान के लिए बाध्यकारी नहीं है। इस्लामी यकीन के अनुसार शारीरिक और आर्थिक दोनों तरीकों से सक्षम मुसलमानों के लिए हज फर्ज है। जो सक्षम हैं उनके लिए जीवन में एक बार हज करना जरूरी है। ऐसे मुसलमान को इस्लाम में 'मुस्ताती' कहा जाता है। 

यह यात्रा इस्लामी कैलेंडर, जो कि एक चन्द्र कैलेंडर है, उसके मुताबिक 12वें महीने  'धू अल हिज्जाह' की 8वीं से 12वीं तारीख तक की जाती है। ग्रेगोरियन कैलेंडर से अलग होने के कारण हज यात्रा की तारीखें हर साल बदलती रहती हैं। 

ऐतिहासिक नजरिए से हज की यह यात्रा 7वीं शताब्दी से प्रारंभ हुई लेकिन मुसलमान मानते हैं कि यह पवित्र यात्रा हजारों वर्षों पहले यानी इब्राहिम के समय से चली आ रही है। 

हज के लिए मक्का मदीना पहुंचा मुसलमान इस पवित्र स्थल के चारों ओर सात बार फेरे लगाता है। फिर अल सफा और अल मारवाह नाम की पहाड़ियों के बीच आगे और पीछे की ओर चलता है। इसके बाद ज़मज़म के कुएं से पानी पीता है। 

हज यात्रा में पवित्र स्थल मक्का और मदीना पर कुछ खास रस्में भी अदा की जाती हैं जिसमें से एक है 'शैतान को पत्थर मारने की रस्म'। जिसमें प्रत्येक मुसलमान एक पत्थर उठाकर फेंकता है। मान्यता है कि यह पत्थर उस शैतान को मारा जाता है जिसने हजरत इब्राहिम को धोखा देने की कोशिश की थी। हज यात्रा में शैतान को पत्थर मारने की ये रस्म कुल तीन दिनों तक चलती है। 

इसके साथ ही सिर मुंडवाना, पशु बलि देना आदि रस्में भी इस पवित्र यात्रा का हिस्सा होती हैं जिसे पूरा करना हर मुसलमान अपना धार्मिक कर्त्तव्य समझता है। 

Web Title: Hajj Yatra subsidy: About Hajj and Makka Madina Yatra history and 9 important facts

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