गुरु नानक देव जी ने एकेश्वर्वाद को बढ़ावा देते हुए सिख धर्म की स्थापना की थी। उन्होंने सभी धर्म-जातियों को बराबर समझते हुए लंगर की प्रथा चलाई। जहां अमीर से गरीब सभी एक ही पंगत में बैठकर भोजन कर सकें। उनके बाद जितने भी सिख गुरुओं को गुरुपद प्राप्त हुआ, सभी ने नानक के इन उपदेशों का पालन किया।
सिखों में चौथे थे गुरु राम दास, जिनका जन्म कार्तिक वदी 2 संवत 1561 को हुआ था। सिख कैलेंडर के अनुसार इस साल 26 अक्टूबर, 2018 को गुरु रामदास का प्रकाश उत्सव (जन्मोत्सव) है।
यहां जानें अमृतसर नगरी बसाने वाले गुरु राम दास के जीवन से जुड़ी 15 रोचक बातें:
1. सिख धर्म के चौथे नानक, गुरु राम दास का जन्म कार्तिक वदी 2 संवत 1561 को चूना मंडी नामक जगह (जो आज लाहौर में है) में हुआ2. उनके पिता का नाम हरिदास मल सोढी और माता का नाम अनूप देवी था3. राम दास का असली नाम जेठा जी था, उन्हें राम दास नाम गुरुपद प्राप्त होने पर मिला था4. बचपन में ही माता-पिता की मृत्यु हो जाने के कारण इनका पालन-पोषण नानी ने किया5. वे नानी के पास रहते थे जब पहली बार सिखों के तीसरे नानक, गुरु अमर दास जी से मिले
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6. उनसे मिलकर वे इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने उन्हीं के पास रहकर उनकी सेवा करने का विचार बना लिया7. गुरु अमर दास जी की दो बेटियां थीं, उनमें से छोटी पुत्री का विवाह उन्होंने राम दास से कराया8. जब गुरु अमर दास को यह एहसास हुआ कि अब सिखों को अगले गुरु से परिचित कराना चाहिए तो उन्होंने गुरु राम दास की एक परीक्षा ली, जिसमें राम दास सफल भी हुए9. बाबा बूढ़ा जी से राम दास को तिलक करवाया और गुरुगद्दी पर बिठाया। तब गुरु अमर दास ने जेठा जी को संगत से परिचित कराते हुए कहा कि ये आपके 'गुरु राम दास' हैं10. गुरुगद्दी पर विराजमान होने के बाद गुरु राम दास द्वारा सिख संगत की भलाई के लिए अनेकों कार्य किए गए
11. उन्होंने 'चक रामदास पुर' बसाया, जिसे आज अमृतसर शहर के रूप में जाना जाता है12. इस नगर के बीचोबीच उन्होंने एक बड़े जल सरोवर का निर्माण भी कराया13. गुरु रामदास जी ने 'आनंद कारज', सिखों के विवाह में पढ़े जाने वाले फेरों की रचना की और संगत से कहा कि अब से आनंद कारज की मर्यक़दा के तहत ही सिख विवाह किए जाएंगे14. अपने जीवन काल में उन्होंने 30 रागों में 638 शबद लिखे जिनमें 246 पौउड़ी, 136 श्लोक, 31 अष्टपदी और 8 वारां हैं। इन सभी को गुरु ग्रन्थ साहिब जी में शामिल किया गया है15. गुरु राम दास जी के तीन पुत्र हुए, जिनमें से उन्होंने ज्योति ज्योत समाने से पूर्व सबसे छोटे पुत्र, गुरु अर्जन को सिखों के 5वें गुरु के रूप में गुरुगद्दी पर बिठाया