Guru Purnima 2023: गुरु पूर्णिमा पर इस बार बनेंगे कई शुभयोग, जानें मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

By रुस्तम राणा | Published: June 30, 2023 01:57 PM2023-06-30T13:57:46+5:302023-06-30T13:57:46+5:30

गुरु पूर्णिमा : यह पर्व गुरुओं के प्रति सम्मान, श्रद्धा एवं समर्पण के प्रतीक को दर्शाता है। सनातन परंपरा में गुरु को सदैव ईश्वर से भी ऊँचा स्थान दिया गया है।

Guru Purnima 2023: know Muhurta, method of worship and importance | Guru Purnima 2023: गुरु पूर्णिमा पर इस बार बनेंगे कई शुभयोग, जानें मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

Guru Purnima 2023: गुरु पूर्णिमा पर इस बार बनेंगे कई शुभयोग, जानें मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

Guru Purnima 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रति वर्ष आषाढ़ पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा पर्व मनाया जाता है। इस साल 3 जुलाई, सोमवार को गुरु पूर्णिमा पर्व मनाया जाएगा। यह पर्व गुरुओं के प्रति सम्मान, श्रद्धा एवं समर्पण के प्रतीक को दर्शाता है। सनातन परंपरा में गुरु को सदैव ईश्वर से भी ऊँचा स्थान दिया गया है। मान्यता है कि इसी दिन ब्रह्मसूत्र, महाभारत और श्रीमद्भागवत जैसे 18 पुराणों के रचयिता महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था। गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा की जाती है। इस दिन शिष्य अपने गुरुओं को उपहार देते हैं। साथ ही उनका आशीर्वाद लेते हैं।

गुरु पूर्णिमा तिथि

आषाढ़ मास की पूर्णिमा प्रारंभ - 2 जुलाई, रात 8 बजकर 21 मिनट पर
आषाढ़ मास की पूर्णिमा समापन - 3 जुलाई, शाम 5 बजकर 8 मिनट पर

गुरु पूर्णिमा 2023 शुभ मुहूर्त

गुरु पूर्णिमा पर गुरु की पूजा, स्नान, दान का शुभ मुहूर्त 3 जुलाई सुबह 5 बजकर 27 मिनट से 7 बजकर 12 मिनट तक है। इसके बाद सुबह 8 बजकर 56 मिनट से 10 बजकर 41 मिनट तक रहेगा। फिर दोपहर में 2 बजकर 10 मिनट से शुरू होकर 3 बजकर 54 मिनट तक रहेगा।

गुरु पूर्णिमा पर बन रहे हैं शुभ योग

इस बार गुरु पूर्णिमा के दिन कई शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन ब्रह्म योग, इंद्र योग और सूर्य व बुध की युति से बुधादित्य राजयोग भी बन रहा है।

गुरु पूर्णिमा पूजा विधि

गुरु पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करें। 
सुबह स्नानादि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
घर में पूजा अर्चना कर गुरुओं की प्रतिमा पर माला अर्पित करें।
इसके बाद गुरु के घर जाएं और उनकी पूजा कर उपहार देते हुए आशीर्वाद लें। 
जिन लोगों के गुरु इस दुनिया में नहीं रहे, वे गुरु की चरण पादुका का पूजन करें। 

वेदव्यास जी बने प्रथम गुरु

आषाढ़ पूर्णिमा के दिन वेद व्यास जी का जन्म हुआ था इसलिए गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा और वेद व्यास जयंती के नाम से भी जाना जाता है। वेद व्यास महर्षि पराशर और सत्यवती के पुत्र हैं। महर्षि वेद व्यास ने मानव जाति को पहली बार चार वेदों का ज्ञान दिया था इसलिए उनको मानव जाति का प्रथम गुरु भी माना जाता है।

गुरु पूर्णिमा का महत्व

गुरु का हमारी जिंदगी में सबसे बड़ा योगदान होता है। गुरु हमें अंधकार की राह से प्रकाश के मार्ग की ओर ले जाने का कार्य करता है। गुरु की इसी महानता को देखते हुए संत कबीरदास ने लिखा है- गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाये, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो मिलाये। गुरु का स्थान भगवान से भी ऊपर बताया जाता है। हम अपने जीवन में आने वाली कठिनाइयों का दृढ़ता के साथ सामना करते हैं। गुरुओं के चरण वंदना से हमारा जीवन सफल होता है। गुरु बिन ज्ञान न होए अर्थात इस संसार में बिना गुरु के ज्ञान के हमारा कल्याण संभव नहीं है।

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