आज गंगा सप्तमी, पूजा के लिए दोपहर तक है शुभ मुहूर्त, इन 3 उपायों से करें देवी गंगा को खुश
By गुलनीत कौर | Published: May 11, 2019 10:18 AM2019-05-11T10:18:56+5:302019-05-11T10:18:56+5:30
एक मान्यता के अनुसार गंगा सप्तमी पर ही मां गंगा और देवी नर्मदा का मिलन हुआ था। इसलिए इसदिन गर्गा और नर्मदा दोनों नदियों में स्नान करने का महत्व है।
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष में अश्लेषा नक्षत्र लगने पर गंगा सप्तमी मनाई जाती है। इस दिन पवित्र गंगा नदी में स्नान करने और मां गंगा का पूजन करने का विशेष महत्व है। पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि शुक्रवार की रात 9 बजकर 41 मिनट पर प्रारंभ हुई थी जो कि अगले दिन यानी शनिवार शाम 7 बजकर 44 मिनट तक मान्य है। इस दौरान शनिवार की सुबह 11 बजकर 5 मिनट से दोपहर 1 बजकर 42 मिनट तक का समय पूजा के लिए शुभ बताया गया है।
गंगा सप्तमी पौराणिक कथा (Ganga Saptami katha in hindi)
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव मां गंगा को स्वर्ग लोक से पृथ्वी लोक पर अपनी जटाओं में लेकर आए थे। गंगा का वेग बहुत तेज होने के कारण भगवान शिव ने उसे अपनी जटाओं में बांधते हुए नियंत्रण में लिया किन्तु पृथ्वी लोक पर आने के बाद भी गंगा का क्रोध शांत नहीं हो रहा था। पृथ्वी लोक पर आकर गंगा नदी तेजी से सभी दिशाओं में फैलने लगी।
नदी का वेग इतना तेज था कि उसके रास्त में आने वाले सभी वन, आश्रम एक एक करके नष्ट होने लगे। तभी गंगा जाह्नू ऋषि के आश्रम तक पहुंची। गंगा को इस तरह सब कुछ नष्ट करता देख ऋषि को क्रोध आया और उन्होंने गंगा का सारा जल पी लिया। ऋषि ने गंगा के जल को ना छोड़ने का हाथ ले लिया। तब भागीरथ ऋषि ने तपस्या करके जाह्नू ऋषि को प्रसन्न किया और गंगा का पानी छोड़ने का आग्रह किया।
इसके बाद वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को अश्लेषा नक्षत्र के दौरान जाह्नू ऋषि ने अपने कान से गंगा नदी को मुक्त किया था। जाह्नू ऋषि के कान से मुक्त होने के कारण ही इस दिन को 'जाह्नू सप्तमी' के रूप में भी जाना जाता है। एक और मान्यता के अनुसार गंगा सप्तमी पर ही मां गंगा और देवी नर्मदा का मिलन हुआ था। इसलिए इसदिन गर्गा और नर्मदा दोनों नदियों में स्नान करने का महत्व है।
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गंगा सप्तमी पर करें गंगा जल के ये उपाय:
1) शास्त्रों में गंगा नदी का जितना महत्व है उतना ही महत्व और अधिक शक्तिशाली गंगा जल माना गया है। इसके उपयोग से दुख, रोग, शोक सभी नष्ट किए जा सकते हैं। यदि लंबे समय से रोग पीछा ना छोड़ रहा हो तो रोजाना सुबह नहाने के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें
2) गंगाजल से घर का वास्तु दोष भी दूर किया जा सकता है। लगातार कुछ दिन पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें। इस चमत्कारी जल के प्रभाव से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और वास्तु दोष दूर होता है
3) यदि किसी को डरावने सपने आते हों, रात को नींद में मुश्किल आती हो तो उसे सोने से पहले अपने बिस्तर पर गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए। ऐसा करें से डरावने सपने आना बंद हो जाते हैं और गंगाजल के स्पर्श से नींद भी अच्छी आती है