गणेश चतुर्थी 2018: लालबागचा राजा की स्थापना में उमड़े भक्त
By धीरज पाल | Published: September 13, 2018 07:50 AM2018-09-13T07:50:03+5:302018-09-13T07:55:59+5:30
भगवान गणेश के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाने वाला गणेश चतुर्थी का पावन पर्व आज से शुरू हो रहा है। इस पावन पर्व के मौके पर देशभर में भगवान गणेश की मूर्तियां स्थापित की जा रही है।
मुंबई, 13 सितंबर: भगवान गणेश के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाने वाला गणेश चतुर्थी का पावन पर्व आज से शुरू हो रहा है। इस पावन पर्व के मौके पर देशभर में भगवान गणेश की मूर्तियां स्थापित की जा रही है। गणेश चतुर्थी के पहले दिन भगवान गणेश की मूर्तियां स्थापित की जाती है। इस मौके पर मुंबई के सबसे प्रसिद्ध लालबागचा राजा पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करने के लिए लाखों की ताताद में भक्त इकठ्ठा हुए। बप्पा मोरया की गूंज से मुंबई डूब गया है।
Mumbai: Devotees throng Ganesha Idol at Lalbaughcha Raja on the occasion of #GaneshaChaturthipic.twitter.com/VjYmLk5QOm
— ANI (@ANI) September 13, 2018
वहीं, मुंबई शहर के कई जगहों पर गणेश चतुर्थी की तैयाारियां चल रही हैं। मंडपे सज चुके हैं। इस मौके पर मुंबई के सिद्धविनाय मंदिर में गणेश चतुर्थी की खास तैयारियां देखी गई। गणेश के आगमन पर सिद्धविनाय मंदिर में गणेश आरती आयोजित किया है।
Aarti being performed at Siddhivinayak Temple in Mumbai on the occasion of #GaneshaChaturthipic.twitter.com/nWnCiG8t2i
— ANI (@ANI) September 12, 2018
गणेश चतुर्थी के मौक पर वड़ाला के जीएसबी मंदिर में आरती के साथ हवन-यज्ञ का भी आयोजन किया गया। 10 दिन के इस महोत्सव में देशभर में गणेश पूजन होता है, लोग पहले दिन बप्पा की मूर्ति को घर लाते हैं और फिर श्रद्धा अनुसार एक, तीन, पांच या पूरे 10 दिन बाद 11वें दिन धूमधाम से विसर्जन करते हैं।
Mumbai: #Visuals from Siddhivinayak Temple on the occasion of #GaneshaChaturthipic.twitter.com/66rnxum88F
— ANI (@ANI) September 13, 2018
10 दिन के गणेशोत्सव को महाराष्ट्र में सबसे अधिक उमंग के साथ मनाया जाता है। इसके पीछे कारण है कि इस महोत्सव की शुरुआत भी महाराष्ट्र से ही हुई थी। इतिहास के मुताबिक भारत में पेशवाओं के समय से ही गणेशोत्सव मनाया जा रहा है। पेशवा बहुत ही धूमधाम से गणपति का स्वागत करते थे। जितने दिन गणेशोत्सव रहता उतने दिन इलाके में बेहद रौनक रहती।