शुक्रवार का व्रतः मां लक्ष्मी की पूजा के लिए यही दिन क्यों चुना गया?
By गुणातीत ओझा | Published: June 12, 2020 06:25 PM2020-06-12T18:25:00+5:302020-06-12T18:29:45+5:30
शुक्रवार का दिन देवियों को समर्पित है। इस दिन मां वैभव लक्ष्मी, महालक्ष्मी, दुर्गा, मां संतोषी और शुक्र ग्रह की पूजा होती है। इस दिन व्रत रखने वाले लोग आर्थिक परेशानियों और संतान की समस्या से मुक्ति पा सकते हैं।
सप्ताह के सातों दिन किसी ना किसी विशिष्ट देवी-देवता की पूजा होती है। आध्यात्म जगत में शुक्रवार का दिन भी विशेष महत्व रखता है। शास्त्रों के मुताबिक शुक्रवार के दिन किए गए व्रत से धन और संतान की प्राप्ति होती है। शुक्रवार का दिन देवियों को समर्पित है। इस दिन मां वैभव लक्ष्मी, महालक्ष्मी, दुर्गा, मां संतोषी और शुक्र ग्रह की पूजा होती है। इस दिन व्रत रखने वाले लोग आर्थिक परेशानियों और संतान की समस्या से मुक्ति पा सकते हैं। शुक्रवार के व्रत का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि इस दिन मां वैभव लक्ष्मी और मां संतोषी की पूजा की जाती है और मनोकामना के लिए व्रत भी रखा जाता है। मां लक्ष्मी जहां व्यक्ति का घर धन धान्य से भर देती हैं, वहीं मां संतोषी अपने भक्तों के सभी दुख दूर कर देती हैं।
शुक्रवार को इस विधि से रखना चाहिए व्रत
शुक्रवार का व्रत वो लोग भी कर सकते हैं जिनकी कुंडली में शुक्र ग्रह की परेशानी चल रही हो। इस दिन मां संतोषी का व्रत रखने वाले नमक और खट्टे से परहेज का संकल्प लें। मां संतोषी का चित्र स्थापित करें और सुबह सेवरे स्नान करके व्रत का संकल्प लें। माता को भोग के रूप में गुड़ और चना चढ़ाएं। इस प्रसाद को संध्या आरती के बाद पूरे घर में वितरित करें। प्रसाद तब बांटे जब आप इस बारे में निश्चिंत हो जाएं कि परिवार के किसी भी सदस्य ने खट्टे का सेवन ना किया हो। अन्यथा प्रसाद को स्वयं ग्रहण करें।
16 शुक्रवार का व्रत फल
व्रत करने वाले ये ध्यान रखें कि आप इस व्रत को संकल्प के साथ पूर्ण करें। पहले 16 शुक्रवार के व्रत करें। नियम से इनका पालन करें। जब ये व्रत पूरे हो जाएं तो 16 वें शुक्रवार के दिन विधि पूर्वक इसका उद्यापन करें। इस व्रत को 16 शुक्रवार तक नियम के साथ करने से शुभ फल प्राप्त होता है। आपकी जो भी मनोकामना है वो संतोषी मां अवश्य पूरी करती हैं।
मां वैभव लक्ष्मी की पूजा
अब आपको बताते हैं मां वैभव लक्ष्मी की पूजा कैसे की जाती है। माता की पूजा संध्या काल में की जाती है। पूजा से पहले आप स्नान करें,स्वच्छ वस्त्र पहनें। लाल रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करेंगे तो उत्तम होगा। इसके बाद मां लक्ष्मी की मूर्ति या फिर चित्र के समक्ष बैठकर माता की आराधना करें। पूजा में आप माता को लाल फूल, लाल चंदन और लाल वस्त्र समर्पित करें। माता को खीर का भोग लगाएं।
मां लक्ष्मी का विशेष मंत्र
अगर चाहते हैं कि आपको पूजा का जल्द से जल्द फल मिलना शुरू हो जाए तो आप ध्यान लगाएं, उससे पहले माता के विशेष मंत्र का जाप करें।
या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी। या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥ या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी। सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती॥
इस मंत्र का जाप करते हुए मन में किसी दूसरे प्रकार के भाव ना आने दें।
धन की देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने का दिन
व्रत-पूजन तक ठीक है लेकिन इस दिन आपको विशेष सावधानी भी बरतनी होगी । मां लक्ष्मी की आराधना करने वाले संध्या काल में अपना व्रत सेंधा नमक के भोजन के साथ खोल सकते हैं । लेकिन माता को लगाए खीर के भोग का सेवन पहले करें फिर कुछ और खाना शुरू करें । इस दिन घर की साफ सफाई पर विशेष ध्यान दें । शुक्रवार को संध्या काल में झाड़ू ना लगाएं । ऐसा माना जाता है कि शाम को सफाई करने से लक्ष्मी रूठ जाती हैं ।
कन्या पूजन और दान का विशेष महत्व
शुक्रवार का दिन देवियों को समर्पित है। इस दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व हे, व्रत पूजन के बाद 8 कुंवारी कन्याओं को घर में बैठाकर भोजन कराएं। उन्हें सामर्थ्यानुसार दान आदि दें। गरीबों को सफेद वस्तुओं का दान करें। चीनी, चावल, मिठाई, श्वेत वस्त्र, जो भी आपकी क्षमता के अंदर हो उसका दान करें। इस दिन आपके द्वारा किया गया दान 4 गुना होकर आपके पुण्य कर्मों में जुड़ जाता है।