Dev Deepawali 2024: जानें देव दीपावली महत्व?, क्या है तिथि, समय, इतिहास और अनुष्ठान
By सतीश कुमार सिंह | Published: November 14, 2024 12:12 PM2024-11-14T12:12:01+5:302024-11-14T12:12:54+5:30
Dev Deepawali 2024: कार्तिक पूर्णिमा के शुभ दिन पर गंगा में पवित्र स्नान करके और शाम को मिट्टी के दीपक जलाकर इसे मनाया जाता है।
Dev Deepawali 2024: देव दीपावली (देव दिवाली) 2024 को लेकर बनारस में अलग ही माहौल है। देव दिवाली हिंदू धर्म की सबसे शुभ छुट्टियों में से एक है। इसे देव दीपावली, त्रिपुरोत्सव या त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में मनाते है। कार्तिक पूर्णिमा के शुभ दिन पर गंगा में पवित्र स्नान करके और शाम को मिट्टी के दीपक जलाकर इसे मनाया जाता है। लाखों मिट्टी के दीये गंगा के किनारे घाटों की सीढ़ियों को रोशन करते हैं। देव दिवाली हिंदू माह कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। यह दिवाली के पंद्रहवें दिन पड़ता है।
इस वर्ष यह 15 नवंबर 2024, शुक्रवार को मनाया जाएगा। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने इस दिन त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। यह त्योहार शिव के पुत्र भगवान कार्तिक की जयंती का भी जश्न मनाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन हिंदू देवता बुराई पर अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए स्वर्ग से आते हैं। पवित्र गंगा में डुबकी लगाने के लिए भी इकट्ठा होते हैं।
'कार्तिक स्नान' के नाम से जाना जाता है। हिंदू आस्थावानों का मानना है कि पवित्र गंगा में स्नान करने से उनके पाप धुल जाते हैं और उनके घरों में समृद्धि आती है। शाम को मिट्टी के दीपक जलाते हैं। लाखों मिट्टी के दीये गंगा के किनारे सभी मंदिरों की सीढ़ियों को रोशन करते हैं।
देव दीपावली उत्सव में 3डी लेजर शो के जरिए दिखाया जाएगा काशी का इतिहास
वाराणसी में देव दीपावली उत्सव में 3डी लेजर शो के जरिए काशी का इतिहास, संतों और ऋषियों की कहानियां और गंगा नदी के ‘‘धरती पर अवतरण’’ के महत्व को दिखाया जाएगा। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। देव दीपावली हर साल कार्तिक पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस साल यह उत्सव 15 नवंबर को मनाया जाएगा।
परंपरा और आधुनिक प्रौद्योगिकी का मिश्रण यह 25 मिनट का 3डी लेजर शो दिन में चार बार- शाम साढ़े पांच बजे, सात बजे, आठ बजे और आठ बजकर 45 मिनट पर, दिखाया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि लेजर शो में उच्च क्षमता वाले 24 प्रोजेक्टर का इस्तेमाल होगा, जो घाटों की ऐतिहासिक इमारतों पर काशी के धार्मिक और सांस्कृतिक विकास की जीवंत छवि बनाएंगे।
वाराणसी के मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा ने बताया, ‘‘इस भव्य समारोह में प्रतिष्ठित दीपमाला और प्रसिद्ध गंगा आरती का आयोजन किया जाएगा, लेकिन इसका मुख्य आकर्षण मल्टीमीडिया अनुभव होगा जो काशी के समृद्ध आध्यात्मिक और पौराणिक इतिहास को जीवंत कर देगा।’’
लेजर शो में शहर के इतिहास के महत्वपूर्ण क्षणों को दिखाया जाएगा, जिसमें काशी में भगवान शिव का आगमन, ऋषियों और मुनियों की कहानियां, भगवान बुद्ध की यात्रा और तुलसीदास तथा कबीर जैसे संतों का योगदान शामिल हैं।’’ मंडलायुक्त ने कहा, ‘‘इस शो में मंदिरों और कुंडों के जीर्णोद्धार में अहिल्याबाई होल्कर के प्रयासों के साथ-साथ गंगा नदी के धरती पर अवतरण के महत्व पर भी प्रकाश डाला जाएगा।
इसके साथ ही देव दीपावली क्यों मनाई जाती है और गंगा के धरती पर अवतरण की कहानी भी पर्यटक देख सकेंगे। लेजर शो को प्रसारित करने के लिए तकनीशियन तथा इंजीनियरों की लगभग 200 से अधिक लोगों की टीम घाट पर काम कर रही है।