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Dattatreya Jayanti 2018: ब्रह्मा, विष्णु और महेश के दत्तात्रोय रूप करेंगे हर मनोकामना पूरी, 24 धर्मगुरुओं से प्राप्त की है शिक्षा

By मेघना वर्मा | Updated: December 22, 2018 11:05 IST

Datta Jayanti 2018 today: इनके रूप की बात करें तो माना जाता है कि दत्तात्रोय भगवान के 6 हाथ और 3 सर हैं।

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हिंदू मान्यताओं में भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश की काफी महत्ता है। तीनों लोक के इन स्वामियों का रूप माने जाता हैं भगवान दत्तात्रोय। इन्हें त्रिदेव भी कहा जाता है। अगहन यानी मार्गशीष माह की पूर्णिमा को दत्तात्रोय जयंती मनाई जाती है। इस साल आज यानी 22 दिसंबर को पड़ने वाली इस जयंती पर त्रिदेव की पूजा की जाती है। आइए आपको बताते हैं भगवान दत्तात्रोय और उनके चमत्तकार के बारे में। 

24 धर्मगुरुओं से की थी शिक्षा ग्रहण

हिंदू धर्म में मान्यता है कि भगवान दत्तात्रोय ने 24 धर्मगुरुओं से शिक्षा प्राप्त की थी। दत्त सम्प्रदाय की शुरुआत भी दत्तात्रोय ने ही की थी। इनकी बालक रूप की पूजा की जाती है। इनके रूप की बात करें तो माना जाता है कि दत्तात्रोय भगवान के 6 हाथ और 3 सर हैं। तीनों ब्रह्मा,विष्णु और महेश के इस त्रिदेव रूप की पूजा करने से सभी मनोकामना पूरी हो जाती है। 

ये है पौराणिक कहानी

पुरानी कहानियों की मानें तो एक बार नारद मुनी, देवी पार्वती , लक्ष्मी और सावित्री को अनुसूया के पतिव्रता होने का बखान कर रहे होते हैं। इसे सुनकर सभी माताएं अपने पतिओं से कहती हैं कि वह अनुसूया की परीक्षा लें। ब्रह्मा,विष्णू, महेश इसके बाद साधू का रूप लेकर माता अनुसूया की कुटिया पर गए। 

जब अनुसूया ने एक थाली में खाना परस कर लायीं तो तीनों देवता ने उनकी परीक्षा ली। इस परीक्षा के चलते ही माता अनुसूया ने दिव्य पानी छिड़का और तीनों ही देवता बालक रूप में आ गए। इस तरह माता ने अपनी परीक्षा भी पूरी की और तीनों देवाताओं का आशीर्वाद भी पाया। 

बताया जाता है कि अनुसूया ने इन तीनों देवता के बाल रूप को स्तनपान भी करवाया था। लोग इनके इस रूप की पूजा करते हैं। बाद में जब तीनों माताएं अपनें पतियों को ढूंढते हुए आयीं तो अनुसूया ने अपने पुत्र रूपी दत्तत्रोय पर जल छिड़कर उन्हें वापिस उनके मूल स्वरूप पर लाती हैं।  

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