छठ पर्व, उत्तर भारत के सबसे लोकप्रिय पर्व में से एक है। चार दिनों तक चलने वाली इस पूजा को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। सूर्य देव और छठी मईया के पूजा करने के इस पर्व को लोग बड़े पैमाने पर मनाते हैं। व्रत की दृष्टी से इस पर्व को कुछ सबसे कठिन व्रत में गिना जाता है।
नहाए-खाए से शुरू होने वाला ये छठ आज से शुरु हो चुका है। इसके बाद दूसरे दिन खरना विधि और फिर अर्घ्य से इसकी समाप्ती होगी। छठ व्रत के लिए कुछ चीजों की खास जरूरत होती है। आज हम आपको यहां उन्हीं सामग्रियों की लिस्ट बताने जा रहे हैं। जिन्हें छठ की पूजा से पहले जरूर इकट्ठा कर लें।
छठ के लिए पूजा सामग्री
1. प्रसाद के लिए बांस की दो टोकरी2. बांस से बने 3 सूप3. लोटा4. थाली5. दूध 6. जल रखने के लिए ग्लास7. नए वस्त्र8. चावल9. लाल सिंदूर10. धूप
इस साल छठ का ये पर्व 31 अक्टूबर से शुरू हो रहा है। 31 अक्टूबर को नहाय-खाए से इस महा-पर्व की शुरूआत हो जाएगी। वहीं एक नवंबर को खरना विधी के बाद दो नवंबर को पहला संध्या अर्घ्य और तीन नवंबर को ऊषा अर्घ्य और पारण है। चार दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में लोग सूर्य देव की उपासना करते हैं। सिर्फ छठ पूजा में बहुत सारी रिति-रिवाज को निभाया जाता है।
नहाय-खाय
छठ के पहले दिन यानी नहाय खाय में भक्त गंगा या किसी पवित्र नदीं में स्नान करते हैं। इसके बाद अपने लिए पूरा खाना तैयार करते हैं। लौकी-भात और चना की दाल खाते हैं। इन सभी साम्रगियों को मिट्टी के चूल्हे पर बनाया जाता है। इस खाने को खाकर महिलाएं खाकर खुद को व्रत के लिए तैयार करती हैं।
खरना
छठ के दूसरे दिन भक्त पूरे दिन व्रत रखते हैं और शाम को सूर्य अस्त होने के बाद खीर और रोटी का सेवन करते हैं। खीर और रोटी का सेवन इसी व्रत के अंतर्गत ही आता है।
संध्या अर्घ्य
छठ के तीसरे दिन घर पर प्रसाद तैयार किया जाता है। बहुत सारी सामग्रियों के साथ इस प्रसाद को तैयार किया जाता है। इसके बाद इसे सूर्य भगवान को दिखाया जाता है। इस मौके पर महिलाएं ज्यादातर साड़ियां पहनती हैं। शाम को सभी छठी मईया के गाने और भजन गाते हैं।
ऊषा अर्घ्य
छठ के चौथे दिन भक्त सूर्य उगने से पहले ही गंगा घाटों या नदी के घाटों पर आ जाती हैं। साथ ही उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं। इसी दिन महिलाएं अपने 36 घंटे के व्रत का पारण करती हैं।