Chhath Puja 2023: छठ पर्व कब शुरू होगा? जानें नहाय खाय, खरना और सूर्य अर्घ्य की डेट, मुहूर्त

By रुस्तम राणा | Published: November 13, 2023 05:18 PM2023-11-13T17:18:48+5:302023-11-13T17:18:53+5:30

छठ महापर्व, हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इस साल छठ महापर्व 17 नवंबर से शुरु हो रहा है।

Chhath Puja 2023: When will Chhath festival start? Know the date and auspicious time of Nahay Khay, Kharna and Surya Arghya | Chhath Puja 2023: छठ पर्व कब शुरू होगा? जानें नहाय खाय, खरना और सूर्य अर्घ्य की डेट, मुहूर्त

Chhath Puja 2023: छठ पर्व कब शुरू होगा? जानें नहाय खाय, खरना और सूर्य अर्घ्य की डेट, मुहूर्त

Chhath Puja 2023: छठ महापर्व भारत में व्यापक रूप से मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ का पर्व मनाया जाता है। इस साल छठ महापर्व 17 नवंबर से शुरु हो रहा है। यह त्योहार पूरी तरह से प्रकृति को समर्पित होता है। छठ पूजा मे षष्ठी माता और सूर्य देव की पूजा अराधना की जाती है। इस पर्व में व्रती 36 घंटे निर्जला उपवास करती हैं। इस पर्व को सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। छठ पूजा में नहाय खाय, खरना, अस्तचलगामी अर्घ्य और उषा अर्घ्य जैसी प्रमुख रस्में होती हैं।  

छठ पूजा की रस्में 

पहला दिन- नहाय खाय (17 नवंबर 2023, शुक्रवार)
दूसरा दिन- खरना (18 नवंबर 2023, शनिवार)
तीसरा दिन- अस्तचलगामी सूर्य को अर्घ्य (19 नवंबर 2023, रविवार)
आखिरी दिन व चौथे दिन- उदीयमान सूर्य को अर्घ्य (20 नवंबर 2022, सोमवार)

छठ पूजा व्रत विधि

प्रातः जल्दी उठें और स्नान आदि से मुक्त छठ के व्रत का संकल्प लें।
छठ पूजा के दिन निर्जला व्रत का पालन करें।
छठ के पहले दिन शाम को नदी के तट पर स्नान आदि करके सूर्य को साध्य अर्घ्य दें।
सूर्यदेव को अर्घ्य देने के लिए बांस की टोकरी का ही प्रयोग करें और जल से अर्घ्य दें।
जिन टोकरियों का उपयोग आप पूजा में कर रही हैं उनमें फल, फूल, सिन्दूर आदि सभी पूजा सामग्री ठीक से रखी गई हैं।
इसके साथ खिलौनों में ही ठेकुआ, मालपुआ और अन्य व्यंजन भी शामिल किए जाते हैं।
पूरे दिन और भर निर्जला व्रत का पालन करने के बाद आप अगले दिन सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दें।

छठ पूजा का महत्व

धार्मिक मान्यता है कि छठी मैया संतान की रक्षा करने वाली देवी हैं और सूर्य की उपासना करने से मनुष्‍य को सभी तरह के रोगों से छुटकारा मिल जाता है। जो सूर्य की उपासना करते हैं, वे दरिद्र, दुखी, शोकग्रस्‍त और अंधे नहीं होते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, एकबार भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा को यह व्रत रखने और पूजा करने की सलाह दी थी।

दरअसल महाभारत के युद्ध के बाद अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे का वध कर दिया गया। तब उसे बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा को षष्ठी व्रत (छठ पूजा) का रखने के लिए कहा। यानि संतान की रक्षा, दीर्घायु और स्वस्थ जीवन का आशीर्वाद पाने के लिए यह पूजा की जाती है। 

Web Title: Chhath Puja 2023: When will Chhath festival start? Know the date and auspicious time of Nahay Khay, Kharna and Surya Arghya

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