छठ का पर्व पूरे उत्तर भारत में बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है. इस पर्व में सूर्य देव की उपासना की जाती है. कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से ही देवी छठ माता की पूजा अर्चना शुरू हो जाती है और सप्तमी तिथि की सुबह तक चलती है. छठ पूजा की रौनक सबसे ज्यादा बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और पड़ोसी देश नेपाल में देखने को मिलती है.
मान्यता है कि छठ पूजा करने से छठी मैया प्रसन्न होकर सभी की मनोकामनाएं पूर्ण कर देती हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार छठी माता को सूर्य भगवान की बहन कहा जाता है इस वर्ष छठ पूजा 20 नवंबर यानी शुक्रवार को है. छठ पूजा का प्रारंभ दो दिन पूर्व चतुर्थी तिथि को नहाय खाय से होता है, फिर पंचमी को लोहंडा और खरना होता है. उसके बाद षष्ठी तिथि को छठ पूजा होती है, जिसमें सूर्य देव को शाम का अर्घ्य अर्पित किया जाता है.
इसके बाद अगले दिन सप्तमी को सूर्योदय के समय में उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं और फिर पारण करके व्रत को पूरा किया जाता है. तिथि के अनुसार, छठ पूजा 4 दिनों की होती है.
पहला दिन- नहाय-खाय - 18 नवंबर (बुधवार) छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी तिथि से होती है. यह छठ पूजा का पहला दिन होता है
सूर्योदय सुबह 06:46 बजेसूर्योस्त शाम 05:26 बजे
दूसरा दिन- लोहंडा और खरना 19 नवंबर (गुरुवार)लोहंडा और खरना छठ पूजा का दूसरा दिन होता है. यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को होता है.
सूर्योदय सुबह 06:47 बजेसूर्योस्त शाम 05:26 बजे
तीसरा दिन- छठ पूजा (सन्ध्या अर्घ्य) 20 नवंबर (शुक्रवार)छठ पूजा का सबसे महत्व पूर्ण दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होता है. इस दिन ही छठ पूजा होती है. इस दिन शाम को सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. छठ पूजा के लिए षष्ठी तिथि का प्रारम्भ 19 नवंबर को रात 09:59 बजे से हो रहा है, जो 20 नवंबर को रात 09:29 बजे तक है.सूर्योदय सुबह 06:48 बजेसूर्योस्त शाम 05:26 बजे
चौथा दिन- सूर्योदय अर्घ्य (पारण का दिन) 21 नवंबर (शनिवार) छठ पूजा का अंतिम दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि होती है. इस दिन सूर्योदय के समय सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित किया जाता है. उसके बाद पारण कर व्रत को पूरा किया जाता है.
सूर्योदय सुबह 06:49 बजेसूर्योस्त शाम 05:25 बजे