छठ पर्व की विशेषता
भारत में विशेषकर पूर्वांचल में मनाया जाने वाला छठ पर्व अब दुनियाभर में मनाया जाता है। दिवाली के छह दिन बाद यह त्योहार मनाया जाता है। यह एक मात्र ऐसा त्योहार है जो कई तरह के भौतिक ऐश्वर्यों के स्वामित्व के कारण इंसानों के बीच पनपने वाली खाई को पाटने वाला अवसर होता है।
इस त्योहार को मनाने या इसकी पूजा विधि को सम्पन्न करने के लिए किसी पुरोहित की जरूरत नहीं पड़ती है। अमीर से अमीर और गरीब से गरीब व्यक्ति अपनी सुविधा और सहूलियत के अनुसार छठ मईया की पूजा कर सकता है। इस पर्व को मनाने वालों के बीच किसी तरह का भेदभाव, ऊंच नीच नहीं दिखाई देता है। लोग समाज के सारे फर्क भुलाकर एक साथ इस पर्व को मनाते हैं। यह त्योहार खासकर अन्नदाता कहे जाने वाले किसानों का प्रमुख त्योहार है।
छठ पर्व की कहानी और मनाने का कारण
लोक कथा के अनुसार छठ पर्व भगवान सूर्य और उनकी बहन षष्ठी देवी को समर्पित है। सूर्य को प्रत्यक्ष देवता माना जाता है। यह भी माना जाता है कि मौसम चक्र और पृथ्वी पर जीवन सूर्य से मिलने वाली ऊर्जा की वजह से ही चलता है। सूर्य भगवान पृथ्वी और इस पर रहने वाले वासियों पर कृपा दृष्टि बनाए रखें इसलिए छठ पर्व पर उनकी पूजा होती है। इस पर्व को संतान सुख का आशीर्वाद लेने के तौर पर भी माना जाता है। माना जाता है कि सूर्य की बहन षष्ठी देवी नवजात शिशुओं रक्षा करती हैं। इस पर्व पर मां अपने बच्चे की लंबी आयु के लिए व्रत भी रखती है।