आचार्य चाणक्य अपने समय के सबसे महान विद्वान और नीतिज्ञ माने जाते हैं। फिर चाहे बात समाज की हो, आर्थिक हो या फिर राजनीति, कहते हैं कि चाणक्य की नीतियों में समूचे जीवन का सार मिलता है। आज भी बड़े राजनीतिज्ञ, दार्शनिक और विद्वान चाणक्य की कही बातों से ही प्रेरणा लेते हैं। चाणक्य की नीति इसलिए सफल और लोकप्रिय रही क्योंकि यह व्यवहारिकता पर आधारित है। इसमें आडंबर नहीं है और यह जीवन के हर मोड़ पर महत्वपूर्ण है। आईए, चाणक्य नीति के जरिये आज समझते हैं कि किन लोगों का अपमान कभी नहीं किया जाना चाहिए....
1. जन्म देने वाली मां- जन्म देने वाली अपनी मां का तिरस्कार कभी नहीं करना चाहिए। जन्मदाता मां तमाम कष्ट सहते हुए संतान को 9 महीने तक गर्भ में रखती है। यह ऋण कभी नहीं चुकाया जा सकता है। एक नई जिंदगी को इस दुनिया में लाने के लिए वह मौत के रास्ते से होकर गुजरती है। इसलिए उसका सदा सम्मान किया जाना चाहिए।
2. पिता का नहीं करें अपमान- चाणक्य कहते हैं कि एक व्यक्ति अपने पुत्र के जन्म से पहले ही पिता बन जाता है। वह अपनी पसंद और इच्छाओं का त्याग कर इस कोशिश में जुट जाता है कि वह अपने बच्चे की इच्छाओं की कैसे पूर्ति करे। इसलिए पिता का अपमान नहीं किया जाना चाहिए।
3. नैतिक बातों का ज्ञान देने वालों का- चाणक्य के अनुसार जो व्यक्ति किसी बच्चे को नैतिकता और शुरुआत में अच्छे-बुरे का ज्ञान देते हैं, उनका तिरस्कार नहीं करना चाहिए। यह कोई भी हो सकते हैं, आपके पड़ोसी, रिश्तेदार, दादा-दादी, नाना-नानी या फिर कोई और।
4. शिक्षा देने वाले शिक्षक- चाणक्य के अनुसार शिक्षा समाज उत्थान का एक अहम जरिया है। एक व्यक्ति के लिए जिस तरह खाना महत्वपूर्ण होता है, उसी तरह शिक्षा भी उतरा ही जरूरी है। इसलिए जो व्यक्ति आपको शिक्षित कर रहा है, वह दरअसल आपके अच्छे भविष्य के लिए प्रयासरत है। इसलिए उसका अवश्य सम्मान किया जाना चाहिए।
5. मित्र का नहीं करे अपमान- वह मित्र जो मुश्किल क्षणों में आपका साथ देता है, वह आपके पिता के समान है। इसलिए उस मित्र का अपमान कभी नहीं किया जाना चाहिए।
6. पत्नी के माता-पिता का सम्मान- ऐसा आम तौर पर देखा जाता है कि ज्यादातर विवाहित पुरुष अपनी पत्नी के माता-पिता को वह सम्मान नहीं देते, जिनके वे अधिकारी हैं। चाणक्य के अनुसार यह गलत है। जिस तरह आपकी पत्नी आपके माता-पिता की सेवा के लिए बाध्य है। वैसे ही आपको भी जरूरत पड़ने पर अपनी पत्नी के माता-पिता की सेवा करनी चाहिए।
7. जिसने कभी आपको खाना खिलाया हो- एक ऐसे दौर में जब सबकुछ व्यक्तिगत हो गया है और सभी अपने पैसे, अपनी जमीन, अपने घर और हथियार के लिए एक-दूसरे से लड़ रहे हैं। वैसे में उस व्यक्ति की अहमियत बहुत बढ़ जाती है जिसे इन सब से अलग किसी भूखे मुंह में खाने का निवाला डालने का समय मिल जाता हो। चाणक्य के अनुसार किसी भी व्यक्ति ने अगर आपके साथ अपने खाने को साझा किया है या जरूरत पड़ने पर खाना खिलाया है, उसका सम्मान करना चाहिए।