Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन इस विधि, मंत्र से करें माँ कालरात्रि की उपासना, भय संकट से मिलेगा छुटकारा
By रुस्तम राणा | Published: March 27, 2023 02:15 PM2023-03-27T14:15:49+5:302023-03-27T14:15:49+5:30
चैत्र नवरात्रि की सप्तमी तिथि 28 मार्च, मंगलवार को माँ कालरात्रि की उपासना की जाएगी। कालरात्रि माँ दुर्गा की सातवीं शक्ति हैं।
Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन (28 मार्च, मंगलवार) माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है। माँ कालरात्रि मां दुर्गा की सातवीं शक्ति हैं। इनकी पूजा करने से भय से मुक्ति मिलती है और शनिदेव भी शांत होते हैं। माँ कालरात्रि मां दुर्गा का रौद्र रूप हैं। माँ कालरात्रि का रंग रात्रि के समान काला है। पौराणिक मान्यता है कि रक्तबीज नामक राक्षस का संहार करने के लिए माँ दुर्गा कालरात्रि का रूप धारण किया था। आइए जानते हैं माँ कालरात्र की पूजा विधि, मंत्र और आरती।
माँ कालरात्रि की पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और फिर व्रत और पूजा का संकल्प लें। माँ को गंगाजल से स्नान करा कर स्थापित करें। माँ को मिष्ठान, पंच मेवा, पांच प्रकार के फल,अक्षत, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ नैवेद्य आदि का अर्पण करें। मंत्र सहित मां की आराधना करें, उनकी कथा पढ़ें और अंत में आरती करें। आरती के बाद सभी में प्रसाद वितरित कर स्वयं भी ग्रहण करें।
मां कालरात्रि को प्रसन्न करने का मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:
ॐ कालरात्र्यै नम:
माँ कालरात्रि की कथा
कहा जाता है कि रक्तबीज नामक राक्षस का देवताओं में आतंक था। रक्तबीज दानव की विशेषता यह थी कि जब उसके खून की बूंद धरती पर गिरती थी तो बिलकुल उसके जैसा दानव बन जाता था। रक्तबीज के आतंक से बचने के लिए देवता भगवान शिव के पास पहुंचे। शिवजी जानते थे कि इस दानव का अंत माता पार्वती कर सकती हैं। शिव जी ने माता से अनुरोध किया। इसके बाद माँ पार्वती ने स्वंय शक्ति संधान किया। इस तेज ने माँ कालरात्रि को उत्पन्न किया। जब माँ कालरात्रि ने रक्तबीज का संहार किया तो उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को माँ स्वयं पी गई। इस प्रकार से माँ ने रक्तबीज जैसे आतातायी राक्षस का वध किया।
माँ कालरात्रि की आरती
कालरात्रि जय जय महाकाली।
काल के मुंह से बचाने वाली।।
दुष्ट संहारिणी नाम तुम्हारा।
महा चंडी तेरा अवतारा।।
पृथ्वी और आकाश पर सारा।
महाकाली है तेरा पसारा।।
खंडा खप्पर रखने वाली।
दुष्टों का लहू चखने वाली।।
कलकत्ता स्थान तुम्हारा।
सब जगह देखूं तेरा नजारा।।
सभी देवता सब नर नारी।
गावे स्तुति सभी तुम्हारी।।
रक्तदंता और अन्नपूर्णा।
कृपा करे तो कोई भी दु:ख ना।।
ना कोई चिंता रहे ना बीमारी।
ना कोई गम ना संकट भारी।।
उस पर कभी कष्ट ना आवे।
महाकाली माँ जिसे बचावे।।
तू भी 'भक्त' प्रेम से कह।
कालरात्रि माँ तेरी जय।।