Chaiti Chhath 2023: कब है चैती छठ पूजा? यहां पढ़ें नहाय खाय और सूर्य अर्घ्य का सही मुहूर्त

By अंजली चौहान | Published: March 15, 2023 05:31 PM2023-03-15T17:31:51+5:302023-03-15T17:36:57+5:30

चैत्री छठ करीब 4 दिनों तक चलता है। ये पर्व चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरु होगा और सप्तमी को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद समाप्त हो जाएगा।

Chaiti Chhath 2023 When is Chaiti Chhath Puja Read here the correct Muhurta for Nahay Khay and Surya Arghya | Chaiti Chhath 2023: कब है चैती छठ पूजा? यहां पढ़ें नहाय खाय और सूर्य अर्घ्य का सही मुहूर्त

फाइल फोटो

Highlightsचैत्र छठ 25 मार्च से शुरू हो रहा है ये पर्व चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरु होगा और सप्तमी को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद समाप्त हो जाएगा।चैत्री छठ करीब 4 दिनों तक चलता है।

Chaiti Chhath 2023: हिंदू धर्म में छठ महापर्व का खास महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार साल में दो बार छठ मनाया जाता है, जिसमें एक कार्तिक मास और दूसरा चैत्र मास में पड़ता है। छठ मुख्यता बिहार मं बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है और यह लोक आस्था भव्य पर्व है।

चैत्री छठ करीब 4 दिनों तक चलता है। ये पर्व चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरु होगा और सप्तमी को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद समाप्त हो जाएगा। चैत्री छठ में भगवान सूर्य की उपासना की जाती है और परिवार की सलामती के लिए कामना की जाती है। 

मुख्य तौर पर घर की महिलाएं अपने परिवार, संतान के लिए इस व्रत को पूरी निष्ठा के साथ करती हैं। ऐसे में आप में से कई लोगों के मन में ये सवाल होगा कि चैत्र छठ किस दिन है और इसकी सही तारीख क्या है तो आइए आपके इन सवालों का जवाब हम देते हैं...

यहां जानें चैत्र छठ की तिथि 

- नहाय खाय: 25 मार्च 2023

- खरना: 26 मार्च 2023 

- अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य: 27 मार्च 2023 

- उदयीमान सूर्य अर्घ्य: 28 मार्च 2023 

नहाय खाय का महत्व 

शास्त्रों के अनुसार, नहाय खाय की परंपरा के साथ चैती छठ की शुरुआत होती है। इस दिन घर में पूरी साफ-सफाई की जाती है और शुद्ध शाकाहारी भोजन को बनाया और खाया जाता है। उपवास रखने वाले लोग इसी दिन सच्चे मन से व्रत का संकल्प लेती है। 

खरना का महत्व

खरना 26 मार्च रविवार को मनाया जाएगा। इस दिन छठ का व्रत करने वाले लोग पूरे दिन निर्जला व्रत करते हैं और शाम को गुड़ की खीर बनाकर पूरे घरवालों के साथ व्रती इसका सेवन करते हैं। इस दिन नमक का सेवन करना मना होता है और इसके बाद व्रती का 36 घंटे का व्रत शुरू हो जाता है। 

संध्या अर्घ्य

संध्या अर्घ्य 27 मार्च शाम 06:36 बजे किया जाएगा। ये चैत्र शुक्ल षष्ठी तिथि पर छठ पूजा यानी डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। इसे संध्या अर्घ्य कहा जाता है और व्रती नदी या तालाब में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इसके साथ ही छठी मैया और सूर्य देवता की विधिवत पूजा की जाती है। 

उषा अर्घ्य 

चैत्री छठ व्रत का समापन सूर्योदय के उषा अर्घ्य से होता है यानी की उगता हुआ सूरज। सूर्य अर्घ्य के लिए व्रती सूर्य को दूध और जल का अर्घ्य देकर छठी मैया को प्रसाद चढ़ाते हैं। पूरे विधि विधान से किसी नदी या तालाब के पास पूजा करने के बाद व्रती व्रत का पारण करते हैं। 

(Disclaimer: इस लेख में दी गई धार्मिक जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Lokmat Hindi इसकी पुष्टि नहीं करता है। कृपया इन जानकारियों पर अमल करने से पहले किसी विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें) 

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