Basant Panchami: कामदेव की भी होती है बसंत पंचमी के दिन पूजा, ऐसा क्यों होता है, क्या है कथा, जानिए

By विनीत कुमार | Published: February 14, 2021 11:58 AM2021-02-14T11:58:59+5:302021-02-14T12:07:19+5:30

Basant Panchami 2021: बसंत पंचमी के दिन हिंदू धर्म में कामदेव की पूजा करने की भी परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि कामदेव अगर नहीं हों तो प्रेम का भाव प्राणियों से खत्म हो जाएगा। इसलिए कामदेव को विशेष स्थान प्राप्त है।

Basant Panchami 2021 why Kamdev worshiped this Day Kamdev story | Basant Panchami: कामदेव की भी होती है बसंत पंचमी के दिन पूजा, ऐसा क्यों होता है, क्या है कथा, जानिए

बसंत पंचमी पर कामदेव की पूजा की भी रही है परंपरा (फाइल फोटो)

Highlightsबसंत पंचमी के दिन कामदेव की पूजा की रही है परंपरा, बसंत ऋतु को कहा गया कामदेव का मित्रएक मान्यता ये भी है कि शिवरात्रि से पहले इसी दिन भगवान शिव का तिलकोत्सव हुआ थाकामदेव के रागवृंत, अनंग, कंदर्प, मनमथ, मदन, पुष्पवान आदि कई नाम हैं

Basant Panchami, KamDev Ki Puja: माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन ज्ञान और संगीत की देवी माता सरस्वती के पूजन का विशेष विधान है। ये एक आम मान्यता है। 

वैसे, क्या आप जानते हैं कि हिंदू धर्म के अनुसार इस दिन कामदेव की भी पूजा करने की परंपरा है। कामदेव यानी प्रेम और काम के स्वामी का भी काफी महत्व है। मान्यता है कि ये अगर नहीं हों तो सृष्टि की उन्नति रूक जाएगी और प्रेम का भाव प्राणियों से खत्म हो जाएगा। इसलिए कामदेव को विशेष स्थान प्राप्त है।

Basant Panchami: बसंत पंचमी के दिन कामदेव की पूजा क्यों?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बसंत ऋतु दरअसल कामदेव के मित्र हैं। इस ऋतु में मौसम सुहाना हो जाता है। प्रकृति में एक अलग सौन्दर्य निखर कर नजर आता है। मनुष्य और दूसरे प्राणी अधिक प्रसन्न दिखाई देते हैं और उल्लास का वातावरण होता है।

इसलिए प्रेम के लिहाज से ये मौसम बहुत अनुकूल माना गया है। पौराणिक मान्यताओं की मानें को कामदेव के पास एक विशेष धनुष होता है जो फूलों से बना है। कामदेव जब इस धनुष से तीर छोड़ते हैं तो किसी का भी बचना नामुमकिन है। यहां तक कि देवता और कई बार ऋषि भी उनके तीर के वार से नहीं बच पाते हैं।

कामदेव का बाण हृदय पर वार करता है जिससे काम भाव का जन्म होता है। इस काम में कामदेव की पत्नी रति भी सहायता करती हैं। इसलिए कामदेव के साथ-साथ देवी रति को भी पूजने की परंपरा है।

ऐसा कहते हैं कि प्राचीन काल में बसंत पंचमी के दिन राजा हाथी पर बैठकर नगर का भ्रमण करते हुए देवालय पहुंचते थे और कामदेव की पूजा करते थे। बसंत पंचमी को लेकर एक मान्यता ये भी है कि शिवरात्रि से पहले इसी दिन भगवान शिव का तिलकोत्सव हुआ था।

Basant Panchami: कामदेव किसके पुत्र हैं 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कामदेव भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के पुत्र हैं। इनका विवाह देवी रति से हुआ है। देवी रति प्रेम और आकर्षण की देवी मानी गई हैं। कुछ कथाओं में ये भी कहा गया है कि कामदेव दरअसल ब्रह्माजी के पुत्र हैं। कामदेव के रागवृंत, अनंग, कंदर्प, मनमथ, मदन, पुष्पवान आदि कई नाम हैं। 

Basant Panchami: कामदेव कहां-कहां रहते हैं

कामदेव कहां-कहां विराजते हैं, इसे लेकर मुद्गल पुराण में वर्णन है। पौराणिक कथा के अनुसार कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या को भी तोड़ दिया था। इससे भगवान शिव का मन चंचल हो गया।

भगवान शिव को जब सत्य का पता चला तो उन्होंने अपने तीसरे नेत्र की ज्वाला से कामदेव को भस्म कर दिया। ऐसे में कामदेव की पत्नी रति विलाप करने लगीं। प्रार्थना पर भगवान शिव ने कामदेव को भाव रूप में प्रकृति और जीवों में वास करने का वरदान दिया। इसी संदर्भ में कहा गया है-

यौवनं स्त्री च पुष्पाणि सुवासानि महामते:।
गानं मधुरश्चैव मृदुलाण्डजशब्दक:।।
उद्यानानि वसन्तश्च सुवासाश्चन्दनादय:।
सङ्गो विषयसक्तानां नराणां गुह्यदर्शनम्।।
वायुर्मद: सुवासश्र्च वस्त्राण्यपि नवानि वै।
भूषणादिकमेवं ते देहा नाना कृता मया।।

इसके मायने ये हुए कामदेव महिलाओं की आंख सहित यौवन, स्त्री, सुंदर फूल, फूलों के रस, खूबसूरत बाग-बगीचे, पक्षियों की मीठी आवाज, छुपे हुए अंगों, मनोहर स्थानों, नये कपड़ो और गहनों आदि में बसते हैं। इनके संपर्क में आने से कामनाएं जागती हैं।

Web Title: Basant Panchami 2021 why Kamdev worshiped this Day Kamdev story

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