Amavasya 2025 Date List: साल 2025 में कब-कब पड़ेगी अमावस्या तिथि? यहां पढ़ें पूरी लिस्ट
By रुस्तम राणा | Updated: December 17, 2024 18:15 IST2024-12-17T17:20:37+5:302024-12-17T18:15:12+5:30
Amavasya Tithi 2025 : साल 2025 में कोई भी सोमवती अमावस्या नहीं है। बता दें कि सोमवती अमावस्या वह अमावस्या होती है जो सोमवार के दिन पड़ती है।

Amavasya 2025 Date List: साल 2025 में कब-कब पड़ेगी अमावस्या तिथि? यहां पढ़ें पूरी लिस्ट
Amavasya Dates in 2025: हिन्दू धर्म में अमावस्या तिथि एक महत्वपूर्ण तिथि है, जो पितरों को समर्पित मानी गई है। इस दिन पित्तरों के निमित्त व्रत, तर्पण, पिंडदान, स्नान आदि अनुष्ठान किए जाते हैं। मान्यता है कि इससे पापों का नाश होता है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह में एक अमावस्या तिथि आती है। इस प्रकार 12 मास में 12 अमावस्या होती है। महत्वपूर्ण बात यह है कि नए साल में कोई भी सोमवती अमावस्या नहीं है। बता दें कि सोमवती अमावस्या वह अमावस्या होती है जो सोमवार के दिन पड़ती है।
नए साल 2025 में कब-कब पड़ेगी एकादशी तिथि, देखें लिस्ट
2025 अमावस्या तिथि लिस्ट (Amavasya Tithi 2025 Date List)
माघ अमावस्या - जनवरी 29, 2025, बुधवार
फाल्गुन अमावस्या - फरवरी 27, 2025, बृहस्पतिवार
चैत्र अमावस्या - मार्च 29, 2025, शनिवार
वैशाख अमावस्या - अप्रैल 27, 2025, रविवार
ज्येष्ठ अमावस्या - मई 27, 2025, मंगलवार
आषाढ़ अमावस्या - जून 25, 2025, बुधवार
श्रावण अमावस्या - जुलाई 24, 2025, बृहस्पतिवार
भाद्रपद अमावस्या - अगस्त 23, 2025, शुक्रवार
आश्विन अमावस्या - सितम्बर 21, 2025, रविवार
कार्तिक अमावस्या - अक्टूबर 21, 2025, मंगलवार
मार्गशीर्ष अमावस्या - नवम्बर 20, 2025, बृहस्पतिवार
पौष अमावस्या - दिसम्बर 19, 2025, शुक्रवार
अमावस्या व्रत की पूजा विधि
इस दिन जल्दी उठें और पवित्र स्नान से दिन की शुरुआत करें।
फिर अपने पितरों के लिए घी का दीपक जलाएं।
पितृ दोष से मुक्ति के लिए पितृ तर्पण करने के लिए ब्राह्मणों को आमंत्रित करें।
इस दिन पितरों की शांति के निमित्त हवन और यज्ञ भी कराएं।
दिवंगत आत्माओं के लिए भगवद गीता पाठ का भी आयोजन करें।
ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को कपड़े, भोजन और दक्षिणा वितरित करें।
अमावस्या तिथि का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन स्नान, दान और ध्यान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। खासतौर पर गंगा स्नान, पवित्र नदियों में स्नान, और तीर्थ स्थानों पर पूजा करने का विशेष फल मिलता है। भाद्रपद अमावस्या का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है, इसलिए इस दिन लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पूजा-पाठ करते हैं और अन्न, वस्त्र, व्रत और दान का आयोजन करते हैं।