हिन्दू धर्म में माघ महीने की सप्तमी तिथि को 'अचला सप्तमी' के रूप में मनाया जाता है। शास्त्रों में इसे माघी सप्तमी या रथ सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। इसदिन सूर्य देव की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि केवल इस एक दिन भगवान सूर्य की पूजा और व्रत करने से पूरे साल भर की पूजा जितना फल प्राप्त होता है। इस वर्ष 12 फरवरी, 2019 को अचला सप्तमी मनाई जा रही है।
अचला सप्तमी पूजा शुभ मुर्हुत
हिन्दू पंचांग की मानें तो 11 फरवरी की दोपहर 3 बजकर 20 मिनट पर ही माघ महीने की सप्तमी तिथि प्रारंभ हो गई थी। जो कि 12 फरवरी की दोपहर 3 बजकर 54 मिनट तक मान्य है। 12 फरवरी को सूर्य उदय से ही अचला सप्तमी की शुरुआत होगी और दोपहर तक पूजा का मुहूर्त मान्य बताया जा रहा है।
क्यों मनाते हैं अचला सप्तमी?
अचला सप्तमी को पौराणिक कथा में सूर्य जयंती के नाम से भी जाना जाता है। एक कथा के अनुसार एक स्त्री थी जिसके जीवनभर कभी कोई दान, पुण्य का काम नहीं किया था। जब उसका अंतिम समय करीब आया तो उसे मृत्यु उपरान्त मोक्ष ना प्राप्त होने का भय सताने लगा। तब वह इस समस्या का समाधान पाने के लिए ऋषि वशिष्ठ के पास गई।
मुनि देव ने उसे बताया कि आज माघ मास की सप्तमी तिथि है। आज के दिन भगवान सूर्य का ध्यान करो। उनकी पूजा करो और पूरे दिन उनके लिए उपवास करो। प्रातः शुभ मुहूर्त में स्नान करो। सूर्य देव की कृपा से तुम्हारे सारे पाप नष्ट हो जाएंगे। स्त्री ने ठीक वैसा ही किया। उसने उपवास और पूजा दोनों की। सूर्य देव की कृपा से मृत्यु उपरान्त उसे इंद्रलोक की अप्सराओं में शामिल होने का गौरव प्राप्त हुआ।
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अचला सप्तमी पर करें ये काम:
1) सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। किसी पवित्र नदी में स्नान करने का मौका मिले तो और भी अच्छा है2) स्नान उपरान्त भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। साथ ही सूर्य देव के बीज मंत्र का जाप अवश्य करें3) अर्घ्य देने के उपरान्त सूर्य देव की शुद्ध घी के दीपक, कपूर, लाल पुष्प आदि वस्तुओं से पूजा करें4) दिनभर सूर्य के नाम का उपवास करें। खट्टी और तीखी चीजों का सेवन करने से परहेज करें5) ''ॐ सूर्याय नम:'' मंत्र का नियमित जाप करें। ऐसा करने से भगवान भास्कर प्रसन्न होते हैं